नई दिल्ली, 12 अप्रैल। दक्षिणी वेल्स के कैल्डी द्वीप पर ईसाई भिक्षुओं द्वारा छोटे बच्चों के साथ हुए यौन शोषण को लेकर डेलीमेल ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में एक पीड़ित का जिक्र है जिसने खुलासा किया है कि ईसाइयों के मठ में कैथोलिक भिक्षुओं द्वारा 50 से अधिक बच्चों का यौन शोषण किया गया था।
बता दें कि कैल्डी मठ के ईसाई भिक्षुओं पर इस तरह के इल्जाम पिछले कुछ समय से प्रकाश में आना शुरू हुए हैं। हाल में फादर जैन रोजी को इस मठ का नया प्रमुख चुना गया था। उनकी नियुक्ति के बाद उन्होंने मठ के भिक्षुओं पर लगे सारे इल्जामों की स्वतंत्र जाँच करानी शुरू की। धीरे-धीरे सामने आया कि कुछ आरोप तो साल 1960, 1970 के भी हैं।
फादर रोजी ने कहा कि उन्होंने सभी आरोपों को बहुत गंभीरता से लिया है और सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखने के लिए प्रमुख स्वतंत्र सुरक्षा सलाहकार जन पिकल्स ओबीई को नियुक्त किया है।
गौरतलब है कि मठ में बच्चों के यौन शोषण के खिलाफ ‘द कैल्डी आइलैंड सर्वाइवर्स कैंपेन’ को 61 वर्षीय केविन ओकोनेल द्वारा शुरू किया गया है। इस अभियान के कारण ऐसे कई लोग सामने आए हैं जो इस बाल यौन शोषण की सार्वजनिक जाँच के लिए लड़ाई लड़ रहे थे।
ओ’कोनल का दावा है कि जब वह 10 साल के थे तो एक भिक्षु ने उनके संग बलात्कार किया था और मठ में बच्चों के साथ भी उन्होंने गलत व्यवहार होते देखा था। उनके आवाज उठाने के बाद व सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से अपील किए जाने के बाद करीबन 50 लोग ऐसे सामने आए हैं जो दावा कर रहे हैं कि भिक्षुओं द्वारा उनके साथ दुराचार किया गया था। वो मान रहे हैं- “हमारे साथ भी गलत हुआ।” इनकी उम्र 45 से 60 के बीच की है।
डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, ओ’कोनल ने बताया- उन्हें डर ता कि द्वीर पर अभी भी लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है लेकिन पास कोई सबूत नहीं था पिछ कुछ हफ्ते पहले एक पत्र आया। वो गुमनाम पत्र था इसे लिखने वाला व्यक्ति भी द्वीप का था। इससे पता चला कि एक युवा लड़की को भी यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा था। उसकी शिकायतों पर कभी जाँच तक नहीं हुई, उलटा मठाधीशों ने आरोपों को खारिज कर दिया। वो कहते हैं कि इससे पता चलता है कि अब भी स्थिति वही है।
बता दें कि इस संबंध में पहली बार रिपोर्टें मीडिया में नहीं आई। साल 2017 से कैल्डी के ईसाई मठ को लेकर ऐसी खबरें आ रही हैं। उस समय बाल यौन शोषण के इस ममाले में छह महिलाओं को एक सिविल अदालत से मुआवजा मिला था, फैसले में कहा गया था कि मठ के भिक्षु में एक फादर थडियस कोटिक ने 1972 से 1987 तक उनके साथ यौन शोषण किया था। 1992 में आरोपित कोटिक का निधन हो गया है, मगर, उसकी हकीकत सामने आने के बाद उसके लिए हैवान जैसे शब्दों का प्रयोग होता है।