रसायन और उर्वरक मंत्रालय डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा हमारी सरकार ने कई सुधार किए हैं और यह सुनिश्चित किया है कि भारतीय किसानों को सस्ती कीमतों पर उर्वरक उपलब्ध हो

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नई दिल्ली, 8दिसंबर। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, डॉ मनसुख मंडाविया ने आज नई दिल्ली में फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) की वार्षिक संगोष्ठी, 2022 (2030 तक उर्वरक क्षेत्र) का उद्घाटन किया। इस अवसर पर श्री अरुण सिंघल, सचिव, उर्वरक विभाग, श्री अरविंद चौधरी, महानिदेशक, एफएआई, श्री केएस राजू, चेयरमैन, एफएआई और उद्योग जगत के प्रतिनिधि और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित हुए।

इस संगोष्ठी को संबोधित करते हुए, डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में उर्वरक महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में उर्वरकों और कच्चे माल की कीमतों में बहुत वृद्धि हुई है। मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने कई सुधार किए हैं और यह सुनिश्चित किया है कि भारतीय किसानों को सस्ती कीमतों पर उर्वरक उपलब्ध हो सके। हमने कोरोना महामारी से पहले के वर्ष 2019-20 में उर्वरक सब्सिडी की राशि को 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर चालू वित्त वर्ष में इसे लगभग 27 बिलियन अमेरिकी डॉलर करके इस उपलब्धि को प्राप्त किया है।

मंत्री ने आगे कहा कि “दुनिया आज उर्वरकों की बढ़ती कीमत और उपलब्धता की गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। हमारे वैश्विक सहयोगियों के लिए इसके लिए उचित और पारदर्शी तंत्र स्थापित करने और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के व्यापक हित में उर्वरकों की समस्या से निपटने के लिए दीर्घकालिक सोच विकसित करने की सख्त आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि दुनिया अभी भी तीन आघातों का सामना कर रही है जिसमें रूस-यूक्रेन में संघर्ष, कोविड-19 के परिणाम और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। साथ में ये कारक हमारी आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने और खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आत्मनिर्भरता को मजबूत करने के लिए एक शक्तिशाली परिस्थिति उत्पन्न करते हैं।

डॉ. मंडाविया ने कहा कि “इस दिशा में निरंतर प्रगति प्राप्त करने की दिशा में दीर्घकालिक समझौते और समझौता ज्ञापन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। हमारी सरकार ने हमारे देश के किसानों के लिए उर्वरक आपूर्ति में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारतीय उर्वरक कंपनियों और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के बीच इस प्रकार के विभिन्न समझौतों और समझौता ज्ञापनों की सुविधा प्रदान की है।“

उन्होंने कहा कि भारत में आर्थिक सुधार विनिर्माण, श्रम, कृषि, शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों और निश्चित रूप से ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में सुधार करने से प्रेरित है। इस दिशा में सरकार ने पांच बंद पड़े यूरिया संयंत्रों को पुनर्जीवित करके उर्वरक क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाया है। हमारा देश 2025 तक यूरिया में आत्मनिर्भर बन जाएगा। हमारी सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई योजनाओं में से एक “वन नेशन वन फर्टिलाइजर” है, जिसमें यूरिया, एमओपी, डीएपी और एनपीके को एक समान भारतीय ब्रांड के अंतर्गत बिक्री की जाएगी जिससे गुणवत्ता और ब्रांडों में एकरूपता लाई जा सके।”

मंत्री ने यह भी कहा कि किसानों के लिए लगभग तीन लाख सभी खुदरा उर्वरक आउटलेट को एकल खिड़की सेवा केंद्रों में परिवर्तित करने के लिए “प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र” की अवधारणा शुरू की गई है।

रसायन और उर्वरक मंत्री ने उद्योग जगत से पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता में सुधार लाने के लिए नए कृषि समाधान विकसित करने पर ध्यान केंद्रीत करने का आग्रह किया क्योंकि इससे पूरी मूल्य श्रृंखला सकारात्मक रूप से प्रभावित होती है और स्थायी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए यह महत्वपूर्ण रूप से सहायता प्रदान कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग जगत को वैकल्पिक उर्वरकों और नए युग के आधुनिक समाधानों की दिशा में अनुसंधान करने की दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए। अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी को इष्टतम बनाने की दिशा में नैनो उर्वरक दक्षता इसका एक सर्वोत्तम उदाहरण हैं।

इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री ने तीन एफएआई प्रकाशनों और एफएआई डेटा पोर्टल की भी शुरूआत की। यह पोर्टल एक समान डेटा बेस तैयार करेगा और एफएआई को मैनुअल डेटा इनपुट से बचाएगा।

इस वर्ष का एफएआई वार्षिक संगोष्ठी, ‘2030 तक उर्वरक क्षेत्र’ विषय को समर्पित किया गया है और इसमें हरित उर्वरकों के लिए प्रौद्योगिकियों, दीर्घकालिक क्षेत्र में विश्वव्यापी विकास, चिरस्थायी कृषि, हरित वित्तपोषण और लॉजिस्टिक की लागत को उपयुक्त बनाने पर प्रस्तुति दी जाएगी। संगोष्ठी में प्रस्तुतियों और चर्चाओं के बाद कुछ उपयोगी सिफारिशें की जाएगी, जो नीति निर्माताओं और कृषि और उर्वरक क्षेत्रों से संबंधित सभी लोगों के लिए उपयोगी साबित होगी।

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