नई दिल्ली, 12 मार्च। यूपी के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी की तर्ज पर एएसआई (ASI) अब मध्य प्रदेश में स्थित भोजशाला परिसर का सर्वे करेगा. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को निर्देश दिया कि वह धार जिले के विवादास्पद भोजशाला (Bhojshala Dhar) परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करे.
एएसआई के संरक्षित ऐतिहासिक भोजशाला परिसर को हिन्दू वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला की मस्जिद बताता है. हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति एस.ए. धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्र ने सभी संबद्ध पक्षों की दलीलों पर गौर करने के बाद आदेश जारी किया.
कोर्ट ने क्या कुछ कहा?
न्यायमूर्ति ने कहा कि इस अदालत ने केवल एक निष्कर्ष निकाला है कि भोजशाला मंदिर-सह-कमाल मौला मस्जिद परिसर का जल्द से जल्द वैज्ञानिक सर्वेक्षण और अध्ययन कराना एएसआई का संवैधानिक और कानूनी दायित्व है. युगल पीठ ने यह निर्देश ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक संगठन की याचिका मंजूर करते हुए दिया.
अगली सुनवाई 29 अप्रैल को
अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनकर इस याचिका पर अपना फैसला 19 फरवरी को सुरक्षित रख लिया था. 11 मार्च (सोमवार) को यह फैसला सुनाया गया. युगल पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को तय की.
एएसआई के सात अप्रैल 2003 को जारी आदेश के अनुसार जारी व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है.
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने क्या कहा?
एएसआई के करीब 21 साल पुराने आदेश को चुनौती देते हुए ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की ओर से अदालत में कहा गया कि यह फरमान भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच के बगैर जारी किया गया था और नियम-कायदों के मुताबिक किसी भी मंदिर में नमाज अदा किए जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती.