नई दिल्ली,15 फरवरी। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी अक्सर अपने मुखर जवाब के लिए जानी जाती हैं। विपक्ष को करारा जवाब देकर वो बोलती बंद कर देती हैं। लेकिन, केंद्रीय मंत्री इस बार नए अवतार में नजर आई हैं। इस बार स्मृति ईरानी एंकर बनी नजर आईं और उन्होंने देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का इंटरव्यू लिया। इस इंटरव्यू में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने जीवन का अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि कैसे वो आदिवासी महिला से लेकर देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचीं।
राष्ट्रपति का ये इंटरव्यू ऑल इंडिया रेडियो पर 13 फरवरी को प्रसारित किया गया था। यह इंटरव्यू केंद्रीय मंत्री की तरफ से आयोजित विशेष एपिसोड ‘नई सोच, नई कहानी’ का हिस्सा था। इस इंटरव्यू में राष्ट्रपति ने बताया कि उनका ये सपना नहीं था, क्योंकि मैं एक आम लड़की थी। जैसे गांव में दूसरे लड़के और लड़कियां होते हैं। ऐसे मैं भी थी। उनके साथ खेलती और स्कूल जाती थी। कभी मौका मिलता था तो किसी के गॉर्डन से अमरूद और आम चुराया करती थी। कभी मौका मिलता था तो घंटों तालाब में तैरती थी।
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि मैंने कभी सपना नहीं देखा था कि कभी देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचना है या कोई बड़ा अफसर बनना है। साक्षात्कार में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पूछा कि जब आपको पता चला कि आपको राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा रहा है, आप फोन नहीं उठा रही थी, किसी को साइकिल पर बैठकर आपके पास आना पड़ा।
इस पर महामहिम ने बताया कि उनके घर पर खराब मोबाइल नेटवर्क के कारण फोन नहीं लगता था, लेकिन मुझे मेरे बच्चों ने बताया कि मां तुम्हारा नाम राष्ट्रपति पद के लिए आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे बात करना चाहते थे, लेकिन संपर्क नहीं हो पा रहा था। इसके बाद पीएम मोदी ने द्रौपदी मुर्मू के प्राइवेट सेक्रेटरी को फोन मिलाया। सेक्रेटरी ने ही उन्हें तुरंत बताया कि पीएम मोदी उनसे बात करना चाहते हैं। मैं हैरान थी कि पीएम मुझसे क्यों बात करना चाहते हैं। पीएम मोदी ने मुझे बताया कि हम आपको राष्ट्रपति का उम्मीदवार बना रहे हैं। मैंने कभी सोचा नहीं था क्योंकि मेरे पास सोचने के लिए टाइम भी नहीं था। मैं इसका क्या जवाब दूं।
इस इंटरव्यू में राष्ट्रपति मुर्मू ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो में अपनी यात्रा के अनुभव भी साझा किए। उन्होंने कहा कि मैं भी चाहती थी आम नागरिक की तरह एक्सपीरियंस लूं। हजारों लोग मेट्रो से अपने काम पर जाते हैं। मैं भी देखना चाहती थी कि मेट्रो की बनावट कैसी है। इसके अलावा उन्होंने न्यू पार्लिय़ामेंट में अपने पहले संबोधन के ऐतिहासिक दिन को याद किया, जहां उनके सामने ‘सेंगोल’ ले जाया गया था।