‘‘उद्योग परिवर्तन मंच पर भारत-स्वीडन घोषणापत्र एक सतत भविष्य के लिए गठबंधन’’: भूपेन्द्र यादव

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नई दिल्ली, 11दिसंबर। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादवने रविवार को कहा कि वैश्विक औद्योगिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है क्योंकि 2019 में लीडआईटी सम्मेलन के लॉन्च के बाद से उद्योग परिवर्तन अंतर्राष्ट्रीय एजेंडे में ऊपरी स्थान पर आ गया है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और वित्त की वास्तविक परिवर्तन चुनौतियों का समाधान किया जाना बाकी है।

दुबई में हुए 28वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में न्यायसंगत उद्योग परिवर्तन के लिए साझेदारी पर एक कार्यक्रम में पर्यावरण मंत्री ने इस विषय पर सकारात्मक टिप्पणी की और कहा कि इस चुनौती पर सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय तंत्र विचार-विमर्श कर सकता है।

भूपेन्द्र यादव ने लीडआईटी शिखर सम्मेलन में अपने बयान का समर्थन करते हुए कहा कि लीडआईटी 2.0 एक संरचित ढांचे और तीन स्तंभों के माध्यम से धरती पर कम कार्बन संक्रमण का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित करेगा: यह तीन प्रमुख स्तंभों – संवाद के लिए वैश्विक मंच; प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा सह-विकास; और एक उद्योग परिवर्तन मंच पर आधारित होगा। इन स्तंभों के माध्यम से, सदस्य उद्योग परिवर्तनों का समर्थन करेंगे,उसमें शामिल होंगे और उन्हें बढ़ावा देना जारी रखेंगे।

स्वीडन के साथ गठबंधन के बारे में श्री भूपेन्द्र यादवने कहा कि उद्योग परिवर्तन मंच पर भारत-स्वीडन संयुक्त घोषणा केवल दो देशों के बीच साझेदारी नहीं है बल्कि स्‍थायी भविष्य के लिए एक गठबंधन है। उन्होंने कहा कि यह जलवायु संकट से निपटने और एक ऐसी दुनिया को आकार देने के हमारे सामूहिक संकल्प का प्रमाण है, जहां उद्योग, पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सौहार्दपूर्ण ढंग से विकास के मार्ग पर आगे बढ़ सकें।

पर्यावरण मंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद श्रोताओं का ध्यान भारत-स्वीडन उद्योग परिवर्तन मंच (आईटीपी) के उद्देश्यों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, जिसमें संस्थागत ढांचे को मजबूत करना; प्रौद्योगिकी प्रदर्शन परियोजनाओं के लिए शर्तों को अनलॉक करना; नवाचार, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना, और क्षमता निर्माण और वित्त और निवेश जुटानाशामिल है। उन्होंने कहाकि यह आपसी सहयोग, ज्ञान के आदान-प्रदान, प्रौद्योगिकी हस्तांतरणऔर कम कार्बन वाले औद्योगिक बदलाव को हासिल करने में भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं का समर्थन करने के लिए संयुक्त अनुसंधान और विकास प्रयासों को बढ़ावा देगा।उन्होंने कहाकि यह नवाचार को गति देगा, भारतीय और स्वीडिश उद्योगों को अत्याधुनिक समाधान अपनाने और उत्पादकता बढ़ाने, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और नए आर्थिक अवसर पैदा करने वाली टिकाऊ प्रथाओं को लागू करने के लिए सशक्त बनाएगा।

यादव ने हितधारकों के भविष्य के उद्योग को नई दिशा देने के लिए नवाचार, सहयोग और प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग करने के लिए मिलकर काम करने के लिए आमंत्रित किया। उन्‍होंने कहा कि यह एक ऐसा उद्योग जो टिकाऊ, लचीला और समावेशी हैऔरआने वाली पीढ़ियों के लिए समृद्धि ला रहा है।

स्वीडन की जलवायु और पर्यावरण मंत्री सुश्री रोमिना पौरमोख्तारी ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि गैर-कार्बनीकरण (डीकार्बोनाइजेशन) और हरित परिवर्तन में क्षेत्रीय विकास, नई नौकरियों, नई प्रौद्योगिकियों में निवेश और बेहतर प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए अपार संभावनाएं हैं। यह स्वीकार करते हुए कि औद्योगिक विकास सभी देशों की सामाजिक और आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, उन्होंने आगाह किया कि व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य कम कार्बन तकनीक की कमी और औद्योगिक क्षेत्रों में लंबे निवेश चक्रों के कारण दशकों तक कार्बन उत्सर्जन में रुकावट आने का खतरा है। उन्होंने आगे कहा, लीडआईटी प्रमुख उद्योग परिवर्तन अग्रदूतों और महत्वाकांक्षी अर्थव्यवस्थाओं के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है, जो पेरिस समझौते के लक्ष्यों के साथ अपने औद्योगिक विकास को संरेखित करना चाहते हैं।

पृष्ठभूमि
भारत और स्वीडन 28वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में इस मुख्‍य कार्यक्रम से इतर साइड इवेंट की मेजबानी कर रहे हैं जो लीडरशिप ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांजिशन (2024-2026), लीडआईटी 2.0 और स्वीडन और भारत के बीच एक नए द्विपक्षीय उद्योग ट्रांजिशन प्लेटफॉर्म के अगले चरण के उद्देश्यों को प्रस्तुत करेगा।

यह कार्यक्रम स्पष्ट करता है कि कैसे लीडआईटी 2.0 उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए उद्योग डीकार्बोनाइजेशन पर केंद्रित साझेदारी, प्रौद्योगिकी सह-विकास और वित्तीय और तकनीकी सहायता के माध्यम से न्यायसंगत उद्योग परिवर्तन को गति देगा।

28वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में, लीडआईटी सदस्यों ने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए न्यायसंगत उद्योग परिवर्तन में तेजी लाने के लिए अपने समर्पण की पुष्टि के लिए अगले चरण (2024-2026) के लिए मिशन वक्तव्य अपनाया।

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