नई दिल्ली ,30अगस्त। तमिल एक्टर विशाल ने बीते दिनों केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड पर 6.5 लाख रुपये का रिश्वत लेना का आरोप लगाया था, जिसके बाद इस मामले को लेकर अब केंद्र सरकार ने भी जांच के आदेश दे दिए हैं. विशाल ने दावा किया कि मुंबई के CBFC ने उनकी अपकमिंग फिल्म ‘मार्क एंटनी’ के सर्टिफिकेट देने के लिए 6.5 लाख रुपये रिश्वत लिए. विशाल के इस दावे के बाद अब पूर्व सीबीएफसी सदस्य अशोक पंडित ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की. वहीं, इस मामले के तूल पकड़ने के बाद केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information and Broadcasting) ने तमिल एक्टर विशाल के आरोपों की तुरंत जांच करने का आदेश दिया. उन्हें अपनी फिल्म ‘मार्क एंटनी’ की हिंदी भाषा में रिलीज के लिए प्रमाणपत्र पाने के एवज में 6.5 लाख रुपये की रिश्वत देनी पड़ी.
एक्शन मोड में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
विशाल ने बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व नाम ट्विटर) पर एक पोस्ट में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के मुंबई कार्यालय में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने शुक्रवार को ‘एक्स’ पर कहा, ‘अभिनेता विशाल द्वारा उठाया गया सीबीएफसी में भ्रष्टाचार का मुद्दा अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार की भ्रष्टाचार को बिल्कुल न बर्दाश्त करने की नीति है और अगर कोई इसमें शामिल पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को आज ही जांच के लिए मुंबई भेजा गया है.’
अनुराग ठाकुर ने दिए ये निर्देश
मंत्रालय ने लोगों से सहयोग करने और ‘सीबीएफसी द्वारा उत्पीड़न की किसी भी अन्य घटना’ के बारे में सूचना साझा करने का भी अनुरोध किया है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने तकनीक का अधिकतम इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है. अधिक रविचंद्रन के निर्देशन वाली विशाल की फिल्म ‘मार्क एंथनी’ बृहस्पतिवार को हिंदी भाषा में रिलीज हुई. इस फिल्म में एस. जे. सूर्या, ऋतु वर्मा, सुनील, सेल्वाराघवन और अभिनय भी हैं. विशाल ने बृहस्पतिवार शाम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से सीबीएफसी के मुंबई कार्यालय में हुए ‘घोटाले’ की जांच करने की अपील की.
6.5 लाख रुपये दो, एक दिन में ले जाओ सर्टिफिकेट
विशाल ने दावा किया था, ‘कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण हमने अंतिम क्षण में हिंदी सेंसर प्रमाणपत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन दिया था, लेकिन मुंबई में सीबीएफसी कार्यालय में जो हुआ उसने हमें हैरान कर दिया. सोमवार को जब मेरा एक व्यक्ति कार्यालय गया तो हमें एक विकल्प दिया गया कि उसी दिन प्रमाणपत्र पाने के लिए 6.5 लाख रुपये दे दिये जाये. हमारे पास और कोई विकल्प नहीं था. हमें सिर्फ स्क्रीनिंग के लिए पहले तीन लाख रुपये देने को कहा गया. बाकी के 3.5 लाख रुपये प्रमाणपत्र के लिए देने को कहा गया.’ विशाल ने यह भी आरोप लगाया कि एक महिला अधिकारी ने उनकी टीम को बताया कि फिल्म निर्माताओं द्वारा सेंसर मंजूरी के लिए पैसे दिये जाना सीबीएफसी में आम बात है.
एक्टर ने किया चौकाने वाला दावा
एक्टर ने दावा किया था, ‘जो 15 दिन में प्रमाणपत्र चाहते हैं, उन्हें चार लाख रुपये देने होते हैं. हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा था, इसलिए हमने दो किस्तों में पैसे दिए और मुझे प्रमाणपत्र मिल गया. आज, मेरी फिल्म उत्तर भारत में रिलीज हुई, लेकिन यह बहुत दुखद है. अगर सरकारी कार्यालय में यह हाल है तो मैं उच्च प्राधिकारियों से इस मामले की जांच करने का अनुरोध करता हूं.’ ‘इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन’ (आईएफटीडीए) ने सीबीएफसी अधिकारियों के खिलाफ लगाए आरोपों पर चिंता जतायी और इसकी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की. आईएफटीडीए के अध्यक्ष अशोक पंडित ने ठाकुर को लिखे पत्र में कहा, ‘‘अगर वसूली के इस अपराध में कोई अधिकारी दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए…यह खतरनाक प्रवृत्ति है, जिससे सीबीएफसी की छवि खराब होगी.’’