‘संवाद भूमि का – संवाद देश का राष्ट्रीय मीडिया अभियान’ देश के प्रत्येक नागरिक तक पहुंचे और उन्हें सशक्त बनाए: गिरिराज सिंह
नई दिल्ली, 12अगस्त। केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री, गिरिराज सिंह ने यहां ग्रामीण विकास, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, साध्वी निरंजन ज्योति, डीओएलआर सचिव अजय तिर्की और विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) के राष्ट्रीय मीडिया अभियान की शुरुआत की।
गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के भूमि शासन और वाटरशेड विकास घटक (डब्ल्यूडीसी) में नई पहलों के बारे में लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए डीओएलआर ने राष्ट्रीय मीडिया अभियान शुरू किया है।गिरिराज सिंह ने कहा कि इस अभियान की शुरुआत के पहले चरण में, राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज़ पंजीकरण प्रणाली, डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई और कैक्टस परियोजना को शामिल किया गया है। भूमि अधिनियम के लिए मीडिया योजना- एनजीडीआरएस के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसके अंतर्गत भारत सरकार ने राज्यों में उप रजिस्ट्रार कार्यालयों (एसआरओ) का कम्प्यूटरीकरण करने के लिए राज्य सरकारों को शतप्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 2016 में डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) की शुरुआत की थी। राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) के अंतर्गत राज्य-विशिष्ट अनुकूलन सुविधा के साथ ‘एक राष्ट्र एक सॉफ्टवेयर’ तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि उप पंजीयक कार्यालयों का 94 प्रतिशत कम्प्यूटरीकरण पूरा हो चुका है और मार्च 2024 तक शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा। पहले, दस्तावेजों का पंजीकरण मैनुअल होता था लेकिन अब इसका ई-पंजीकरण किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था विकसित हुई है और बड़े पैमाने पर पूंजी निर्माण में सहायता मिली है। इस प्रणाली की शुरूआत के साथ पंजीकरण प्रक्रिया में समय और धन की बचत हो रही है जिससे पूरी प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हो चुकी है।
डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई कार्यक्रम के संदर्भ में, मंत्री ने प्रकाश डाला कि डीओएलआर ने 2019 से वाटरशेड कार्यक्रम लागू किया है जिसे 2015-16 में पीएमकेएसवाई योजना में सम्मिलित किया गया था। इसके अंतर्गत किए गए क्रियाकलापों में, अन्य बातों के साथ-साथ, मेड़ क्षेत्र उपचार, जल निकासी लाइन उपचार, मृदा एवं नमी संरक्षण, वर्षा जल संचयन, नर्सरी को बढ़ावा, वनीकरण, बागवानी, चारागाह विकास, संपत्तिहीन लोगों के लिए आजीविका की व्यवस्था आदि शामिल हैं। विभाग वर्षा सिंचित और निम्नीकृत क्षेत्रों के विकास के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) के वाटरशेड घटक का कार्यान्वयन कर रहा है। 97 मिलियन हेक्टेयर में से लगभग 29 मिलियन हेक्टेयर निम्नीकृत भूमि को वाटरशेड परियोजनाओं के अंतर्गत कवर किया गया है, जो कि शायद वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा अभियान है। यह जानकारी प्रदान की गई कि मीडिया अभियान के माध्यम से, डीओएलआर द्वारा लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए विभाग की वाटरशेड विकास गतिविधियों के लिए जागरूकता उत्पन्न करने में तेजी लाया जाएगा।
कैक्टस परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नोपल्स कैक्टस – थॉर्नलेस एक प्रकार का पौधा है जिसे विकसित होने के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है और यह वाटरशेड क्षेत्रों में वृक्षारोपण के लिए बहुत उपयुक्त है। विभिन्न शोध अध्ययनों में यह पाया गया है कि कैक्टस का पौधा मुख्य रूप से बायोगैस उत्पादन, बायो-चमड़ा, बायो-उर्वरक, चारा, दवा और खाद्य सामग्री के लिए बहुत उपयोगी है।
यह जानकारी भी प्रदान की गई कि मीडिया अभियान के माध्यम से डीओएलआर लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए विभाग की गतिविधियों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करेगा। विभाग के कार्यक्रमों/योजनाओं के बारे में आम लोगों को जागरूक बनाने के लिए डीओएलआर ने मीडिया योजना तैयार की है। अभियान के पहले चरण में आउटडोर मीडिया, सोशल मीडिया, बल्क एसएमएस और रेडियो जिंगल आदि शामिल किए जाएंगे। मीडिया अभियान के पहले चरण के बाद, अतिरिक्त माध्यमों को बाद में व्यापक और लक्षित कवरेज के लिए इसमें जोड़ा जाएगा।
इस कार्यक्रम में डीओएलआर ने मीडिया अभियान के चार अलग-अलग घटकों अर्थात् आउटडोर मीडिया अभियान, सोशल मीडिया अभियान, एसएमएस अभियान और रेडियो जिंगल अभियान का शुभारंभ किया। आज के शुभारंभ का सुनहरा क्षण रेडियो जिंगल्स थे जो डीओएलआर में इनहाउस तैयार किए गए थे।
पृष्ठभूमि:
भूमि संसाधन विभाग ने हाल के वर्षों में नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए विभिन्न पहलों की शुरुआत की हैं। डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत, विभाग द्वारा नागरिकों के लाभ के लिए भूमि अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण और भू-मानचित्रों का डिजिटलीकरण करने की कोशिश की जा रही है। अधिकारों के रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकरण और पंजीकरण कार्यालयों का कंप्यूटरीकरण के संदर्भ में, उदाहरण के लिए, 08 अगस्त 2023 तक राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि 94 प्रतिशत रही है। इसी प्रकार, देश में नक्शों का डिजिटलीकरण 76 प्रतिशत रहा है। इसके अलावा, डीओएलआर सभी भूमि पार्सल को भू-आधार या विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या प्रदान कर रहा है और एक वर्ष में लगभग 09 करोड़ भूमि पार्सल को भू-आधार प्रदान किया गया है।