नई दिल्ली, 13जुलाई।देश में भारी वर्षा को देखते हुए दिशा-निर्देशों में छूट दी गई है और पिछले वित्त वर्ष में राज्यों को दी गई राशि के उपयोगिता प्रमाण-पत्र की प्रतीक्षा किए बिना राज्यों को तत्काल सहायता जारी की गई है।
राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) का गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के सेक्शन 48 (1) (ए) के अंतर्गत प्रत्येक राज्य में किया गया है। यह कोष अधिसूचित आपदाओं की अनुक्रिया के लिए राज्य सरकारों को उपलब्ध प्राथमिक कोष है। केंद्र सरकार सामान्य राज्य में एसडीआरएफ में 75 प्रतिशत और पूर्वोत्तर तथा हिमालय राज्यों में 90 प्रतिशत योगदान देती है।
वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार वार्षिक केंद्रीय योगदान दो समान किश्तों में जारी होता है। दिशा-निर्देशों के अनुसार पहली किश्त में जारी राशि के उपयोगिता प्रमाण-पत्र की प्राप्ति तथा एसडीआरएफ की गतिविधियों पर राज्य सरकार की रिपोर्ट प्राप्ति पर निधि जारी की जाती है। लेकिन इस बार तत्काल आवश्यकता को देखते हुए इन अपेक्षाओं को समाप्त कर दिया गया।
चक्रवात, सूखा, भूकंप, अग्निकांड, बाढ, सुनामी, तूफान, भू-स्खलन, हिम-स्खलन, बादल फटने, कीट आक्रमण और पाला तथा शीतलहर जैसी अधिसूचित आपदाओं के पीड़ितों को तत्काल राहत उपलब्ध कराने में खर्चों से निपटने के लिए एसडीआरएफ का उपयोग किया जाता है।
राज्यों को एसडीआरएफ निधि का आवंटन अनेक कारकों पर निर्भर करता है। इनमें पिछला खर्च, क्षेत्र, जनसंख्या तथा आपदा जोखिम सूचकांक जैसे कारक शामिल हैं। ये कारक राज्य की संस्थागत क्षमता, जोखिम, अनुभव, खतरा और कमजोरी से परिचित कराते हैं।
15वें वित्त आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्र सरकार ने 2021-22 से 2025-26 के लिए 1,28,122.40 करोड़ रुपए का आवंटन एसडीआरएफ के लिए किया है। इस राशि में से केंद्र सरकार का शेयर 98,080.80 करोड़ रुपए है। केंद्र सरकार ने वर्तमान में जारी राशि से पहले ही 34,140.00 करोड़ रुपए जारी कर दिए थे। वर्तमान जारी राशि के साथ राज्य सरकारों को जारी एसडीआरएफ में केंद्रीय हिस्से की कुल राशि बढ़कर 42,366 करोड़ रुपए हो गई है।