दुनिया ने ऐसे कम ही लोगों को देखा होगा जो हिंदू और मुसलमानों में समान रूप से लोकप्रिय हैं और बिना भेदभाव के उनके लिए काम करते हैं, शमीम अहमद ऐसे ही लोगों में से एक हैं।
पश्चिम बंगाल में क़ाएद ऐ उर्दू के नाम से मशहूर शमीम अहमद एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और वे इंसानों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना अपना फ़र्ज़ समझते हैं. मानवाधिकार से जुड़ा कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसमें उन्होंने मानव की बेहतरी के लिए काम न किया हो। साम्प्रदायिक एकता के लिए लॉन्ग मार्च हो या धरना और प्रदर्शन, पाकिस्तान में सरबजीत सिंह की रिहाई का मुद्दा हो या फिर बेघर लोगों के सर पर छत का प्रावधान। दिलों से नफरत की जंग को हटाने के लिए धर्म संसद की स्थापना हो या जरूरतमंदों की जरूरतों को पूरा करने और उनके लिए भोजन उपलब्ध कराने का अभियान हो, शमीम अहमद सबसे आगे हैं। उनके प्रमुख कार्यों में से एक ‘फूड फॉर ऑल’ अभियान है। पश्चिम बंगाल में उनके द्वारा की गई पहल का बाद में दूसरों ने अनुसरण किया और यह अभियान इतना लोकप्रिय हुआ कि आज पूरे भारत में लोग खाद्य बैंक चला रहे हैं।
अपने फूड फॉर ऑल अभियान के बारे में शमीम अहमद का कहना है कि उन्होंने कोलकाता में गणतंत्र दिवस 2018 से इस अभियान का आरंभ किया था। कोलकाता में सैकड़ों लोग हैं जो रात को भूखे पेट सोते हैं, कुछ ऐसे भी हैं जो भीख मांगकर अपनी भूख मिटाते हैं, लेकिन दर्जनों गरीब ऐसे हैं जिनकी इज्जत उन्हें अपने पेट की आग बुझाने के लिए लोगों से रोटी मांगने की इजाजत नहीं देती है। शमीम अहमद एक घटना का जिक्र करते हुए कहते हैं कि एक रात वे कोलकाता के एक जाने-माने रास्ते से गुजर रहे थे, जिसके सामने विधान सभा के सदस्यों के महलनुमा आवास हैं। उन्होंने देखा की रात के सन्नाटे में एक बूढ़ा आदमी ठंड से काँप रहा हे, उन्हों ने अपनी गाड़ी रुकवायी , नीचे उतरे और अपने कंधे पर रखी शाल उतार कर उस बूढ़े को ढाँक दिया। उन्होंने बूढ़े से पूछा, “बाबा जी, क्या आपने खाना खा खा लिया है?” उसने कहा नहीं । यह सुनकर शमीम अहमद सिहर उठे, उन्हें लगा की वह इस बुज़ुर्ग के अपराधी हैं उन्हीं ने खुद को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार महसूस किया और तुरंत अपने ड्राइवर को खाना लाने के लिए भेजा। जब वह इस वृद्ध से बात कर रहे थे तो उन्हें पता चला कि एमएलए हॉस्टल के सामने फुटपाथ पर पड़े इस वृद्ध ने ऐसी कई भूखी रातें काटी हैं। इस बिच उनका ड्राइवर खाना लेकर आया और उन्होंने अपने हाथों से वृद्ध को खाना खिलाया और घर लौट आए। इस घटना ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्हें रात भर नींद नहीं आई. उन्होंने इस दुखद घटना का जिक्र अपने मित्र मंडली से किया और आपसी विचार-विमर्श के बाद वे इस निर्णय पर पहुंचे कि अब उनके जीवन में उन के आस पास का कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोएगा. इसके लिए उन्होंने अपने दोस्तों की एक टीम बनाई, जिसमें हिंदू और मुसलमान सभी शामिल थे। इस टीम ने ‘फ़ूड फॉर आल “अभियान शुरू करने का फैसला किया। जिसके अनुसार भोजन से लदी एक गाड़ी गलियों, मोहल्लों से गुजरेगी और रात में कोलकाता शहर की सड़कों और वहां रहने वाले को धर्म, ज़ात पात , रंग नसल के भेदभाव के बिना हर भूखे खाना खिलाएगी, भूखों को खाना खिलाना ही इस का मुख्य उद्देश्य होगा। इस अभियान के पहले चरण मैं शमीम अहमद ने 3.5 लाख रुपये में एक चौपहिया वाहन खरीदा और 26 जनवरी 2018 गणतंत्र दिवस की रात से उन्होंने फ़ूड फॉर आल अभियान शुरू कर दिया।
इस सवाल के जवाब में कि फ़ूड फॉर आलअभियान के आरमभ करने का कारण वही एक घटना हे या कोई अन्य घटना भी है जिसके कारण उन्हों ने इस अभियान की शुरुआत की । शमीम अहमद ने बताया कि उस रत बुज़ुर्ग को खाना खिलाने के बाद वो कई रातों तक ठीक से सो नहीं पाए साथ ही उन्हें हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम का एक वाकया भी याद आया जिसमें एक दिन खाने के वक्त हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) अतिथि की तलाश करने लगे । तो उन्हें आदमी मिला। उसे हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) अपने घर लाये जब वह खाने के लिए बैठा, तो हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) ने कहा, “बिस्मिल्लाह कहो।” उस आदमी ने कहा, “मुझे नहीं पता कि अल्लाह कौन है और क्या है।” यह सुन कर हज़रात इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने उसे दस्तरखान से उठा दिया , जब वह बाहर चला गया तो हज़रत जिब्रील अमीन आये और कहा कि अल्लाह कहता है, ” उसके न मानने और अविश्वास के बावजूद, हमने उसे जीवन भर जीविका प्रदान की, और आप ने उसे एक निवाला देने से भी इंकार करदिअ” । यह सुनकर हज़रात इब्राहिम उस आदमी के पीछे दौड़े और उसे वापस बुलाया। लेकिन उस आदमी ने कहा की जब तक आप दोबारा बुलाने की वजह नहीं बताएंगे मैं आप के साथ नहीं जाऊंगा। हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने उस आदमी को यह घटना सुना दिए और यह घटना उस आदमी के मुसलमान होने का कारण बन गया । उस आदमी ने कहा कि वफ रब जिस ने यह आदेश आप को भेजा हे बड़ा दयालु है, मैं उस पर इमान लाता हूँ । फिर वह हज़रत इब्राहिम (अलैहिस्सलाम ) के साथ गया और मोमिन बनकर और नियमित रूप से पढ़ कर खाना खाया।
शमीम अहमद ने इस घटना का वर्णन करने के बाद कहा कि यह घटना भी इस अभियान को शुरू करने के कारणों में से एक है । उनका मानना है कि अल्लाह, जो पूरे ब्रह्मांड की भूख मिटा रहा हे और सब को खाना दे रहा हे , निश्चित रूप से उनकी इस फ़ूड फॉर आल मैं सहायता करेगा। वह केवल अल्लाह के दिए हुए रिज़्क़ को ही उस के ज़रूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं ।