नई दिल्ली, 30मार्च। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन नवरात्रि की नवमी तिथि का पूजन किया जाता है. जिसे राम नवमी के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म में राम नवमी का विशेष महत्व है और इस दिन भगवान राम के बाल स्वरूप का पूजन किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन भगवान राम ने राजा दशरथ के पुत्र के रूप में धरती पर जन्म लिया था. आइए जानते हैं कि राम नवमी की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त.
राम नवमी शुभ मुहूर्त
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन दोपहर 12 बजे हुआ था. इसलिए इस दिन पूजा के लिए दोपहर का समय बेहद ही शुभ माना जाता है. पंचांग के अनुसार पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 17 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.
राम नवमी पूजा विधि
राम नवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था और इस दिन उनके बाल स्वरूप का विधि-विधान के साथ पूजन किया जाता है. इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें. इसके बाद मंदिर में रखी भगवान राम की मूर्ति को स्वच्छ करें और उन्हें उनका केसर वाले दूध से अभिषेक करें. इसके बाद चंदन का तिलक लगाएं और पीले के फूल अर्पित करें. फिर मिष्ठान का भोग लगाएं और रामायण का पाठ करें. इसके बाद 108 बार ‘ ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं रामचन्द्राय श्रीं नम: ’ मंत्र का जाप करें.
वैसे इस दिन घरों में राम दरबार लगाया जाता है और इसके साथ ही हवन भी किया जाता है. हवन के लिए हवन कुंड लेकर आएं और उसमें गोबर के उपले रखें. फिर कपूर और देसी घी डालकर हवन की शुरुआत करें. फिर लौंग के जोड़े अर्पित करें और हवन सामग्री डालें. कहते हैं कि इस दिन घर में हवन करने से घर में आ रही निगेटिव एनर्जी समाप्त होती है.