ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त ने राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय में आयोजित ऑस्ट्रेलियाई वस्त्रों की ‘जर्राचार्रा: शुष्क मौसम की हवा’ प्रदर्शनी का दौरा किया

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नई दिल्ली, 17मार्च। ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त माननीय बैरी ओ’फारेल एओ और वस्त्र मंत्रालय में व्यापार सलाहकार तथा विकास आयुक्त हस्तशिल्प एवं हथकरघा श्रीमती शुभ्रा ने ऑस्ट्रेलियाई वस्त्रों की जर्राचार्रा प्रदर्शनी देखने के लिए राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय का दौरा किया।

यह प्रदर्शनी पहली बार भारत आई है और कोलकाता एवं मुंबई में तथा वर्तमान में 1-17 मार्च के दौरान राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय एवं हस्तकला अकादमी में प्रदर्शित की गई थी। इसका आयोजन जी20 सचिवालय, वस्त्र मंत्रालय, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के सहयोग से किया गया है और राष्ट्रीय फैशन डिजाइन संस्थान द्वारा क्यूरेट किया गया है। यह प्रदर्शनी चेन्नई और बेंगलुरु भी जाएगी।

‘जर्राचार्रा: शुष्क मौसम की हवा’ प्रदर्शनी अर्नहेम लैंड (उत्तरी क्षेत्र, ऑस्ट्रेलिया), जोकि दुनिया के सबसे दूरदराज इलाके में स्थित कला केंद्रों में से एक है, के बब्बर्रा महिला केंद्र से लाए गए आदिवासी महिलाओं की वस्त्र कला का एक शानदार संग्रह प्रस्तुत करती है। इस प्रदर्शनी में समकालीन माध्यमों का उपयोग करते हुए प्राचीन कहानियों का चित्रण करने वाली महिलाओं को दिखाया गया है और इस प्रदर्शनी से गुजरते हुए आपको ऐसा अनुभव होता है कि आप उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के प्राचीन देश की यात्रा कर रहे हैं।

मैनिंग्रिडा के नौ भाषा समूहों से संबद्ध 16 महिला कलाकारों के कार्यों को प्रदर्शित करके यह प्रदर्शनी इस इलाके की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता का उत्सव मनाती है। इस प्रदर्शनी में अधिकांश कलाकार कुनिंजकु हैं। हालांकि, इसमें गुर्र-गोनी, एनजेब्बना, मावंग, बुरार्रा, जंबर्रपुएंगु, जिनांग, रेमबर्रंगा, क्रियोल और कुने भाषाओं के कलाकार भी हैं। ऑस्ट्रेलिया में आज भी लगभग 120 देशी भाषाएं बोली जाती हैं। आज, बब्बर्रा महिला केंद्र 30 से अधिक महिला कलाकारों की सहायता करता है और इसने अर्नहेम लैंड देश एवं विविध संस्कृतियों को दर्शाते हुए 100 से अधिक स्क्रीन डिजाइन तैयार किए हैं।

हजारों आगंतुकों ने इस प्रदर्शनी को न केवल देखा, बल्कि इसमें गहरी रूचि भी दिखाई।

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