“प्रधानमंत्री मोदी के कुशल मार्गदर्शन में भारत ने कोविड और चिकनगुनिया के खतरे का सफलतापूर्वक सामना किया, जिसमें आयुष की प्रमुख भूमिका रही है”: सर्बानंद सोनोवाल
स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को लखपति दीदी बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम के रूप में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रदान करने और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आयुष मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया
नई दिल्ली, 17मार्च। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की महिलाओं को लखपति दीदी (एक लाख रुपये या उससे अधिक वार्षिक आय वाली महिलाएं) बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम के रूप में, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के अंतर्गत आयुष स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए गरीब ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को प्रशिक्षण देकर कुशल कर्मियों को तैयार करने में सहयोग देने के लिए आयुष मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।
इस अवसर पर, केंद्रीय पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि 2024 तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 10 करोड़ एसएचजी सदस्य बनाने के लक्ष्य को प्राप्त किया जाएगा क्योंकि इसके लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय नयी महिला सखियों (सदस्यों) की भर्ती करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
गिरिराज सिंह ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने मई, 2014 में कार्यभार संभाला था तब एसएचजी के 2.35 करोड़ सदस्य थे लेकिन पिछले 9 वर्षों में ग्रामीण गरीब महिलाओं को सशक्त बनाने वाले केंद्रित दृष्टिकोण के साथ, एसएचजी सदस्यों की संख्या बढ़कर 9 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है और 2024 तक यह 10 करोड़ तक पहुंच जाएगी।
उन्होंने कहा कि “यह समझौता ज्ञापन स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं और गरीब ग्रामीण युवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। हमारा प्रारंभिक लक्ष्य महिलाओं को बड़ी संख्या में प्रशिक्षण प्रदान करना है, जिसे आगे और बढ़ाया जाएगा। हम स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता प्रदान करेंगे।”
अपने संबोधन में, केन्द्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग और आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन में भारत ने कोविड और चिकनगुनिया से उत्पन्न चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया और आयुष ने इन घातक बीमारियों से उत्पन्न खतरे से निपटने में प्रमुख भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में, वित्त वर्ष 2021-22 तक आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) और हर्बल उत्पादों के निर्यात में मात्रा के हिसाब से 41.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि “दोनों मंत्रालय स्वरोजगार की भावना को बढ़ावा देने के लिए आपस में सहयोग करेंगे। इससे ग्रामीण युवाओं और महिलाओं का सशक्तिकरण होगा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मुझे उम्मीद है कि दोनों मंत्रालय एकसमान संबंधित क्षेत्रों का पता लगाना जारी रखेंगे, जिससे हम समाज की भलाई के लिए मिलकर काम कर सकें।”
इस समझौता ज्ञापन पर दोनों केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में कर्मा जिम्पा भूटिया, संयुक्त सचिव (कौशल), ग्रामीण विकास मंत्रालय और डॉ. मनोज नेसारी, सलाहकार (आयुष), आयुष मंत्रालय ने हस्ताक्षर किया।
इस एमओयू के माध्यम से दोनों मंत्रालयों के बीच तालमेल स्थापित होने, एक साथ मिलकर काम करने और ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक विकास और गरीबी उन्मूलन के बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति करने में सक्षम बनने की उम्मीद है। दोनों पक्ष एक संयुक्त कार्य समूह स्थापित करने पर भी सहमत हुए, जिसके माध्यम से पारस्परिक हित के अन्य कार्यों की पहचान की जा सकती है और ग्रामीण विकास मंत्रालय और आयुष मंत्रालय मिलकर संयुक्त रूप से काम कर सकते हैं।
इस अवसर पर डॉ मुंजपारा महेंद्रभाई कालूभाई, आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्रालय में सचिव शैलेश कुमार सिंह, आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, आयुष मंत्रालय में विशेष सचिव प्रमोद कुमार पाठक, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक डॉ तनुजा नेसारी और ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा आयुष मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी उपस्थित हुए।
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) गरीबी उन्मूलन के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है, जिसकी शुरुआत 25 सितंबर 2014 को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत किया गया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत के 15 से 35 वर्ष की आयु के बीच के गरीबों में सबसे गरीब युवाओं को कौशल प्रदान करना है। देश के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह खुद को अपने देश के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए कौशल केंद्र के रूप में विकसित और स्थापित करे। स्किल इंडिया अभियान के एक भाग के रूप में, यह सरकार के सामाजिक और आर्थिक कार्यक्रमों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जैसे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटीज, स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया आदि, जो भारत को वैश्विक स्तर पर पसंदीदा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करता है, जबकि राष्ट्र के अन्य प्रमुख कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली अपनी कोशिशों को आगे भी बढ़ाता है। डीडीयू-जीकेवाई के अंतर्गत अब तक कुल 13.88 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है और 8.24 लाख युवाओं को रोजगार प्रदान किया गया है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय और आयुष मंत्रालय के बीच सहयोग से डीडीयू-जीकेवाई के अंतर्गत एनएसक्यूएफ अनुपालन पाठ्यक्रमों जैसे पंचकर्मा तकनीशियन, पंचकर्मा सहायक, आयुर्वेदिक मालिश वाला, क्षार कर्म तकनीशियन, कपिंग थेरेपी सहायक आदि में 22,000 गरीब ग्रामीण युवाओं का प्रशिक्षण और पहले चरण में उनका प्लेसमेंट सुनिश्चित किया जाएगा। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, ग्रामीण विकास मंत्रालय डीडीयू-जीकेवाई मानदंडों के अनुसार प्रशिक्षण देने के लिए डीडीयू-जीकेवाई को प्रदान किए गए मानदंडों के आधार पर यानी केंद्र सरकार और राज्य सरकार का वित्तपोषण सुनिश्चित करेगा और डीडीयू-जीकेवाई दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यक्रम के परिणाम की निगरानी सुनिश्चित करेगा।
ग्रामीण विकास मंत्रालय और आयुष मंत्रालय एक संयुक्त कार्य समूह भी बनाएगा, जिसमें दोनों मंत्रालयों के अधिकारी शामिल होंगे और ऐसे अन्य विषयों की पहचान करेंगे जिन पर संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के साथ काम किया जा सकता है और कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जा सकता है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय और आयुष मंत्रालय यह सुनिश्चित करेंगे कि एनएसक्यूएफ अनुपालन पाठ्यक्रमों के अंतर्गत गरीब ग्रामीण युवाओं हेतु इन प्रशिक्षणों को लागू करने के लिए एक जिम्मेदार नोडल एजेंसी को प्रतिनियुक्त किया जाए और प्लेसमेंट के प्रमाण के साथ डीडीयू-जीकेवाई कौशल्य भारत पोर्टल पर उनका मूल्यांकन, प्रमाणन, प्लेसमेंट और रिपोर्टिंग सुनिश्चित किया जाए।