नई दिल्ली ,17मार्च। भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 16 मार्च, 2023 को कोच्चि, केरल में आईएनएस द्रोणाचार्य को राष्ट्रपति ध्वज (प्रेसिडेंट्स कलर) प्रदान किया।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि समुद्र में शक्ति भारत के सामरिक, सैन्य, आर्थिक और वाणिज्यिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है। भारत जैसे देश के लिए, विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के अतिरिक्त एक लंबी तटरेखा, उसके द्वीपीय क्षेत्र और पर्याप्त नाविक जनशक्ति (सीफारिंग पापुलेशन) के साथ एक मजबूत और आधुनिक नौसेना का होना बहुत अधिक महत्व रखता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 75 वर्षों से युद्ध के लिए सर्वदा तत्पर, बहु-आयामी और बहुमुखी भारतीय नौसेना ने न केवल हमारे विरोधियों को सोचने पर विवश करने के साथ ही हमारे समुद्री हितों की रक्षा की है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए एक शांतिपूर्ण परिधि का निर्माण भी किया है। हमारी समुद्री सीमाओं की रक्षा करने, हमारे व्यापार मार्गों को सुरक्षित करने और आपदाओं के दौरान सहायता प्रदान करने में भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता पर राष्ट्र को गर्व है।
राष्ट्रपति महोदया ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में किसी भी मिशन पर तैनात और कैसे भी प्रत्युत्तर के लिए तत्पर बल बनने और हमारे समुद्री पड़ोस में किसी भी आकस्मिकता के लिए ‘प्रथम उत्तरदाता (फर्स्ट रेस्पोंडर)’ बने रहने के लिए अपनी महत्वपूर्ण क्षमताओं का विकास किया है। उन्होंने कहा कि देश अपने समुद्री हितों की रक्षा के लिए नौसेना की ओर ही देखता है।
ध्वज प्रदान किए जाने वाले समारोह से ठीक पहले आईएनएस विक्रांत की अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि स्वदेश में निर्मित आधुनिक विमान वाहक आईएनएस विक्रांत आत्म निर्भर भारत का एक ज्वलंत उदाहरण है। आज भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है जिनके पास स्वदेशी तकनीक से विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता है। उन्होंने भारतीय नौसेना की पूरी टीम, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड और आईएनएस विक्रांत के निर्माण से जुड़े सभी लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विशिष्टता और समर्पण के साथ देश की सेवा करने के लिए भारत को अपनी नौसेना के वीर पुरुषों एवं महिलाओं पर गर्व है।