राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत करता है: राष्ट्रपति मुर्मू

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बीकानेर, 28 फरवरी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार, 27 फरवरी, 2023 को राजस्थान के बीकानेर में 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में शिरकत की और संबोधित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव जैसे उत्सव न केवल देश की कला और संस्कृति को बढ़ावा देते हैं, बल्कि राष्ट्रीय एकता की भावना को भी मजबूत करते हैं। ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम लोगों को हमारी समृद्ध और समृद्ध संस्कृति और विभिन्न क्षेत्रों की विशेषताओं को जानने और समझने का अवसर प्रदान करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि परंपरा के साथ प्रौद्योगिकी और कला के साथ विज्ञान का संयोजन आवश्यक है। विज्ञान और तकनीक की मदद से हर क्षेत्र में नए प्रयोग हो रहे हैं। कला और संस्कृति के क्षेत्र में भी प्रौद्योगिकी को अपनाया जा रहा है। नई तकनीक के जरिए हम अपने देश की कला, परंपरा और संस्कृति का दायरा बढ़ा सकते हैं।

हम सभी को भारत की समृद्ध और समृद्ध संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। साथ ही हमें अपनी परंपराओं में नए विचारों और सोच को जगह देनी चाहिए, ताकि हम अपने युवाओं और आने वाली पीढ़ियों को इन परंपराओं से जोड़ सकें। यह बहुत जरूरी है कि हमारे युवा और बच्चे देश की अनमोल विरासत के महत्व को समझें।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि परिवर्तन जीवन का नियम है। समय के साथ कला, परंपरा और संस्कृति में भी बदलाव आते हैं। समय के साथ-साथ कला-शैली, रहन-सहन, वेश-भूषा, खान-पान में बदलाव आना स्वाभाविक है, लेकिन कुछ बुनियादी मूल्य और सिद्धांत पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलते रहने चाहिए, तभी हम भारतीयता को जीवित रख सकते हैं।

‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना, शांति और अहिंसा, प्रकृति के प्रति प्रेम, सभी जीवों के प्रति करुणा, दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ना – ऐसे कई मूल्य हैं जो हम सभी को एक सूत्र में बांधते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज के लोगों का जीवन और समय बहुत तेजी से भाग रहा है। इसलिए हमारी कला और संस्कृति की विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना आसान नहीं है। उन्होंने प्रमुख हस्तियों, विद्वानों, कला प्रेमियों और कलाकारों से ग्रामीण कलाकारों की प्रतिभा को पहचानने और उनकी प्रतिभा को व्यापक रूप से प्रदर्शित करने का आग्रह किया।

उन्होंने आगे उनसे तरीके खोजने और प्रयास करने के लिए कहा ताकि आज की पीढ़ी, विशेष रूप से युवा और बच्चे कला और संस्कृति को समझ सकें और सीख सकें।

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