डब्ल्यू-20 भारत का विजन समानता और सहभागिता की ऐसी दुनिया बनाना है जहां हर महिला सम्मान के साथ रहे: डब्ल्यू-2020 की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शुरू हो रहे दो दिवसीय डब्ल्यू-20 इंसेप्शन मीट में सदस्य देशों, अतिथि देशों और विशेष आमंत्रित देशों से लगभग 150 गणमान्य महिलाएं हिस्सा लेंगी

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नई दिल्ली,27 फरवरी।वीमन-20 (डब्ल्यू-20) की दो दिवसीय प्रारंभिक बैठक में कई विषयों पर बात की जाएगी, जैसे – नैनो, माइक्रो और स्टार्टअप उद्यमों में महिलाओं को सशक्त बनाना, जलवायु परिवर्तन रोधी एक्शन में चेंजमेकर्स के रूप में महिलाओं की भूमिका, जमीनी स्तर पर महिला नेताओं के लिए एक सक्षम इकोसिस्टम बनाना, बुनियादी ढांचे और कौशल के माध्यम से पहुंच में सुधार करना ताकि लैंगिक डिजिटल दूरी को पाटा जा सके, शिक्षा और कौशल के माध्यम से महिलाओं के लिए रास्ते बनाना, नीति और कानूनी ढांचा: महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को सक्षम करने वाले कारक बनाना। इसमें भारत में महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास पर भी एक विशेष सत्र होगा।

इस पर एक प्रारंभिक संवाददाता सम्मेलन को डब्ल्यू-20 की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा ने डब्ल्यू-20 की मुख्य समन्वयक सुश्री धरित्री पटनायक की उपस्थिति में औरंगाबाद में संबोधित किया। डॉ. पुरेचा ने बताया कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 में डब्ल्यू-20 पांच प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो इस प्रकार हैं:

जमीनी स्तर पर महिला नेतृत्व
महिला उद्यमिता
जेंडर डिजिटल डिवाइड को दूर करना
जलवायु परिवर्तन में चेंज मेकर्स के तौर पर महिलाएं और लड़कियां
शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से रास्ते बनाना
डॉ. पुरेचा ने ये भी कहा कि डब्ल्यू-20 भारत का विजन समानता और सहभागिता की दुनिया बनाना है जहां हर महिला सम्मान के साथ रहे। उसका मिशन महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लिए सभी बाधाओं को दूर करना है और महिलाओं को फलने-फूलने के लिए एक सक्षम वातावरण और इकोसिस्टम सुनिश्चित करना है ताकि वे खुद भी फल फूल सकें और दूसरों के जीवन को भी परिवर्तित कर सकें। उन्होंने कहा कि डब्ल्यू-20 विभिन्न ज्ञान उत्पादों लेकर आएगा जैसे कि – श्वेत पत्र, पॉलिसी ब्रीफ्स, वीडियो डॉक्यूमेंट्रीज़, विचार लेख, हैंडबुक और आधिकारिक घोषणाएं। इसका मकसद होगा जी-20 राष्ट्रों और नेताओं को प्रभावित करना कि वे महिलाओं के एजेंडे को जी-20 के विचार-विमर्शों के मूल में लाएं।

डब्ल्यू-20 की मुख्य समन्वयक धारित्री पटनायक ने बताया कि सदस्य देशों, अतिथि देशों और विशेष आमंत्रित देशों की लगभग 150 प्रतिनिधि महिलाएं कल से विचार-विमर्श में भाग लेंगी। डब्ल्यू-20 का जोर इस बात पर होगा कि जी-20 के नेताओं की घोषणा और जी-20 की आधिकारिक घोषणाओं को प्रभावित किया जाए और महिला उद्यमियों के साथ सक्रिय जुड़ाव करने हेतु आम सहमति बनाने के लिए कदम उठाए जाएं और लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने वाली नीतियों के प्रति प्रतिबद्धता जताई जाए। उन्होंने इंगेजमेंट ग्रुप की कार्य प्रक्रिया के बारे में बताते हुए ये सब कहा।

आज शहर में एक जन भागीदारी कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 1000 महिलाओं की भागीदारी देखी गई। इनमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, विभिन्न गैर सरकारी संगठनों की महिलाएं और कई अन्य जमीनी स्तर की महिला कार्यकर्ता शामिल थीं। इंडोनेशियाई प्रतिनिधिमंडल की नेता डॉ. फरहादीभा तेनरिलेम्बा, रूसी प्रतिनिधिमंडल की एलेना म्याकोत्नीकोवा, दक्षिण कोरियाई प्रतिनिधि सुश्री एंजेला जू-ह्यून कांग, दक्षिण अफ्रीकी प्रतिनिधि सुश्री सिबुलेले पोस्वायो और जापानी प्रतिनिधि सुश्री सातोको कोनो ने चर्चा सत्र में भाग लिया।

ये कार्यक्रम भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत पर जोर देने वाले महागामी के एक आकर्षक सांस्कृतिक प्रदर्शन के साथ शुरू हुआ और एक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ समाप्त हुआ जिसमें भारतीय महिलाओं ने डब्ल्यू-20 की प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। इस आयोजन का विषय ‘जर्नी टू एम्पावरमेंट’ था और डब्ल्यू-20 का उद्देश्य सुशासन को बढ़ावा देना और नीति निर्माण व निर्णय लेने में हितधारकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए नागरिकों के साथ जुड़ाव के अपने विजन को पूरा करना है। इस अवसर पर डब्ल्यू-20 की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा के साथ-साथ विदेशी प्रतिनिधि और भारत भर के विभिन्न समुदायों और आयु वर्ग की महिलाएं भी मौजूद थीं। डॉ. पुरेचा ने बताया कि जी-20 की भारतीय अध्यक्षता उसके इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण होगा क्योंकि भारत सभी की भलाई के लिए व्यावहारिक वैश्विक समाधान ढूंढ़कर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहता है, और ऐसा करते हुए वो ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ यानी ‘सारा विश्व एक परिवार है’ की सच्ची भावना को प्रकट करता है।’

डॉ. पुरेचा ने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से डब्ल्यू-20 का लक्ष्य भारत की जी-20 और डब्ल्यू-20 की अध्यक्षता में वैश्विक नागरिकों के जमीनी स्तर के जुड़ाव को बढ़ाना है, ताकि समावेशिता के अपने विजन को वो साकार कर सके।

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