कल बीबीसी ने अपने यूरोपियन प्रसारण में जेहादी दुल्हन उर्फ शमीमा बेगम पर 3 घंटे की डॉक्यूमेंट्री दिखाई
नई दिल्ली, 17 फरवरी। इस डॉक्यूमेंट्री में बीबीसी ने शमीमा बेगम को एक पीड़ित दिखाया एक मजबूर दिखाया और एक ऐसी लड़की दिखाया जिसे सहानुभूति की जरूरत है और जो मजबूरी में आतंकी बने पूरे लंदन में लोगों का गुस्सा बीबीसी पर भड़क गया.
लंदन की गुप्तचर एजेंसी भी सक्रिय हुई कि आखिर बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री के पीछे मंशा क्या है तब पता चला कि कई जिहादी संस्थाओं से बीबीसी ने भारत कतर पाकिस्तान सहित अपने 40 से ज्यादा कार्यालयों में पैसे का लेनदेन किया है.
ब्रिटेन सरकार के गुप्त सूचना पर भारत सरकार ने मुंबई और दिल्ली सहित बीबीसी के ऑफिस पर छापा मारा और इस पर सबसे ज्यादा पीड़ा कांग्रेस को हो रही है.
वैसे शमीमा बेगम उर्फ जेहादी दुल्हन की कहानी यह है यह लंदन में अपने माता पिता के साथ रहती थी भरा पूरा परिवार था इसके पिता बांग्लादेशी मूल के थे लंदन में एक रेस्टोरेंट था और एक स्टोर था यह बहुत समय ऑनलाइन रहती थी और एक दिन यह घर से गायब हो गई.
फिर तीन और मुस्लिम लड़कियां गायब हो गई तब ब्रिटिश सरकार के कान खड़े हो गए और उन्होंने अपनी गुप्तचर एजेंसी लगाई तब इस्तांबुल एयरपोर्ट की एक वीडियो सामने आया जिसमें शमीमा बेगम अपनी तीनों सहेलियों के साथ एयरपोर्ट पर दिख रही है उसके बाद एयरपोर्ट पर कुछ संदिग्ध लोग आते हैं और तीनों लड़कियां अलग-अलग जगहों पर उनके साथ चली जाती हैं उसके बाद 4 साल के बाद शमीमा बेगम सीरिया में रशियन सैनिकों के हाथ लगी उस वक्त उसकी गोद में एक छोटा बच्चा था.
शमीमा बेगम को पहले शिविर में रखा गया फिर उसने बताया कि उसके दो और बच्चे हुए थे जो भूख और कुपोषण से मर गए और कुछ दिनों के बाद शरणार्थी शिविर में उसका तीसरा बच्चा भी मर गया.
ब्रिटेन सरकार ने उसकी ब्रिटिश सिटीजनशिप रद्द कर दी शमीमा बेगम खुशी-खुशी सीरिया जाकर आतंकियों की रखैल बनना चाहती थी और वह रखैल बनने के लिए अपनी मर्जी से वहां गई उसने पुलिस को बताया कि उसकी मंशा यह थी कि यह जो जिहादी लड़ रहे हैं तो इनकी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए हम सहेलियों ने सोचा कि हम सीरिया चलते हैं और हम इनके साथ हमबिस्तरी करेंगे ताकि इनकी शारिरिक जरूरत को पूरा किया जा सके.
अब बीबीसी इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए ब्रिटिश सरकार पर यह दबाव डालने की कोशिश कर रहा है कि शमीमा बेगम उर्फ जिहादी दुल्हन की नागरिकता मानवता के आधार पर फिर से बहाल कर दी जाए.