भारत की प्रत्यायन प्रणाली दुनिया में 5वें पायदान पर; समग्र गुणवत्ता बुनियादी ढांचा प्रणाली शीर्ष 10 में रही
नई दिल्ली, 10फरवरी। भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) के तहत आने वाली भारत की राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली को हाल के ग्लोबल क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स (जीक्यूआईआई) 2021 में दुनिया में 5वां स्थान हासिल हुआ है। जीक्यूआईआई में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे (क्यूआई) के आधार पर दुनिया में 184 देशों की सूची तैयार की गई है। मानकीकरण प्रणाली में नौवीं और माप संबंधी यानी मेट्रोलॉजी प्रणाली (एनपीएल-सीएसआईआर के तहत) में दुनिया में 21वें पायदान के साथ भारत की समग्र क्यूआई प्रणाली रैंकिंग शीर्ष 10 में 10वें पायदान पर बनी हुई है।
इस अवसर पर क्यूसीआई के अध्यक्ष जक्षय शाह ने कहा, “यह गुणवत्ता प्रथम के दृष्टिकोण वाले अमृत काल में एक नए भारत का संकेत है। भारत में तीन क्यूआई स्तंभों में भारत की प्रत्यायन प्रणाली सबसे नई है और हम इन रैंकिंग में एक साल के भीतर दुनिया में पांचवें स्थान पर पहुंच गए हैं। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में क्यूसीआई ‘मेक इन इंडिया’ को गुणवत्ता और विश्वसनीयता के लिहाज से दुनिया में एक भरोसेमंद ब्रांड बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। मिशन मोड में अपनी गुणवत्ता की यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए हमारे व्यवसायों को और अधिक सहायता प्रदान करने का समय आ गया है।”
क्यूआई अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए तकनीकी रीढ़ है, जिसमें मेट्रोलॉजी, मानकीकरण, मान्यता और एक समान मूल्यांकन सेवाएं व्यापारिक भागीदारों के बीच विश्वसनीयता और विश्वास को बढ़ाती हैं। भारत में, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के तहत आने वाली राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल-सीएसआईआर) राष्ट्रीय मेट्रोलॉजी संस्थान है, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) राष्ट्रीय मानक संस्थान है और भारतीय गुणवत्ता परिषद के तहत आने वाले राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड उसके समर्थन से राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली के संरक्षक हैं।
जीक्यूआईआई देशों के क्यूआई की तुलना के आधार पर विकास को मापता है। एक सूत्र से मेट्रोलॉजी, मानकों और मान्यता के लिए उप-रैंकिंग में अपनी स्थिति के आधार पर प्रत्येक देश के लिए अंकों की गणना की जाती है। भौगोलिक रूप से, शीर्ष 25 क्यूआई प्रणालियां मुख्य रूप से यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया-प्रशांत में स्थित हैं, हालांकि, भारत (10वां), ब्राजील (13वां), ऑस्ट्रेलिया (14वां), तुर्की (16वां), मेक्सिको (18वां) और दक्षिण अफ्रीका (20वां) इस सूची में अपवाद हैं।
प्रत्यायन अनुरूपता मूल्यांकन निकायों (सीएबी) की क्षमता और विश्वसनीयता स्थापित करने में मदद करता है, जो परीक्षण, प्रमाणन, निरीक्षण आदि कार्य करते हैं। भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) ने अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार भारत में राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली की स्थापना की थी। वहीं, क्यूसीआई भारतीय उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से 1997 में स्थापित निकाय है। क्यूसीआई के घटक बोर्डों के माध्यम से इसका परिचालन किया जाता है। इनमें मुख्य रूप से नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर सर्टिफिकेशन बॉडीज (एनएबीसीबी) जो प्रमाणन, निरीक्षण और सत्यापन/ सत्यापन निकायों को मान्यता देता है और नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज (एनएबीएल) जो परीक्षण, मापांकन और मेडिकल प्रयोगशालाओं को मान्यता देता है, शामिल हैं। दोनों, एनएबीसीबी और एनएबीएल अंतरराष्ट्रीय निकायों की बहुपक्षीय मान्यता व्यवस्था, इंटरनेशनल एक्रीडिटेशन फोरम (आईएएफ) और इंटरनेशनल लैबोरेट्री एक्रिडिटेशन कोऑपरेशन (आईएलएसी) के हस्ताक्षरकर्ता हैं, जो उनकी मान्यता के तहत जारी किए गए रिपोर्ट और प्रमाणपत्रों को अंतर्राष्ट्रीय समकक्षता और स्वीकृति प्रदान करता है। भारत में अनुरूपता मूल्यांकन के लिए सरकार, नियामक, उद्योग और अनुरूपता मूल्यांकन निकाय एनएबीसीबी और एनएबीएल की मान्यता पर भरोसा करते हैं।
भारत की प्रत्यायन रैंकिंग में बढ़ोतरी के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली के तहत अनुरूपता मूल्यांकन निकायों (सीएबी) की स्थिर वृद्धि को श्रेय जाता है। ये परीक्षण और चिकित्सा प्रयोगशालाएं, उत्पाद प्रमाणन निकाय और प्रबंधन प्रणाली प्रमाणन निकाय हैं। गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के महत्व और क्यूसीआई की भूमिका पर जोर देते हुए क्यूसीआई के महासचिव डॉ. रवि पी. सिंह ने कहा, “भारत आत्मनिर्भरता की राह पर है और हम अब अन्य देशों के नवाचार और सुधार के आधार पर काम नहीं करते हैं। हमारी प्रणालियों का अब अन्य देशों द्वारा अनुकरण किया जा रहा है। उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए हमारी राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली के महत्व की अनदेखी नहीं की जा सकती है और इस मान्यता से हमें नियामकों और सरकार के लिए एक ज्यादा स्वतंत्र इकोसिस्टम तैयार करने में सहायता मिलेगी। इससे किसी भी मानक का एक समान रूप से उपयोग किया जा सकता है। हमारे दोनों बोर्डों एनएबीएल और एनएबीसीबी ने अच्छा काम किया है और उन्हें ज्यादा समर्थन दिए जाने की आवश्यकता है।”
जीक्यूआईआई रैंकिंग उस वर्ष के अंत तक एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर प्रकाशित की जाती है और प्रत्येक वर्ष के लिए कार्योत्तर प्रस्तुत की जाती है। 2021 की रैंकिंग दिसंबर 2021 के अंत तक के आंकड़ों पर आधारित है, जिन्हें 2022 तक एकत्रित और विश्लेषण किया गया है। यह मेट्रोलॉजी, मानकीकरण, प्रत्यायन और संबंधित सेवाओं से जुड़ी फिजिकालिश-टेक्निस्क बुंदेसन्सटाल्ट (पीटीबी) और फेडरल मिनिस्ट्री फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (बीएमजेड), जर्मनी द्वारा समर्थित एक पहल है।