खड़गे की असली चुनौती राहुल वफादारों से पार पाना है

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कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अग्नि परीक्षा की घड़ी बस आ पहुंची है, पांच दशकों के उनके सियासी अनुभव को तब पंख लग जाएंगे जब वे दीपावली बाद इस 26 अक्टूबर को कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का जिम्मा संभालेंगे, सबसे खास बात तो यह कि कांग्रेस मुख्यालय में आहूत होने वाले इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए राहुल गांधी अपनी ’भारत जोड़ो यात्रा’ अधबीच छोड़ दिल्ली आने वाले हैं। सूत्रों की मानें तो खड़गे ने अपने अध्यक्षीय रोड मैप को अंतिम रूप देने के लिए अपने कुछ खास वफादारों से सलाह मशविरा किया है। उनकी योजना कांग्रेस के तमाम अहम संगठनों में व्यापक फेरबदल की है। इस फेरबदल की गाज मुकुल वासनिक, के. राजू जैसे दिग्गजों पर भी गिर सकती है। पर खड़गे के समक्ष असली चुनौती तुगलक लेन में विराजमान टीम राहुल के तुगलकी फरमानों से निपटने की होगी। मुमकिन है कि टीम राहुल की इन सिफारिशी चिट्ठियों पर रोक लग जाए क्योंकि यहां से निकली ज्यादातर चिट्ठियां कांग्रेस के संगठन और कमेटियों की पोस्टिंग में कारगर हथियार साबित होती रही हैं। कहते हैं खड़गे अपने पारिवारिक ज्योतिष के संपर्क में हैं, खड़गे का लकी नंबर 8 है सो उनके ज्योतिषियों ने उन्हें राज तिलक के लिए 26 तारीख का दिन सुझाया है।

राहुल के ’सुपर सिक्स’

राहुल गांधी की अपने खास वफादारों की एक कोर टीम है, जो अब तक पार्टी के तमाम अहम फैसले लेती आई है। इस टीम के सबसे अहम सदस्य हैं केबी बायजू, जो कभी एसपीजी में हुआ करते थे। अपनी जमी-जमाई नौकरी छोड़ वे राहुल की कोर टीम में शामिल हो गए। कहते हैं यह बायजू ही हैं जिनकी राहुल दरबार में सबसे ज्यादा तूती बोलती है। कांग्रेसी गलियारे में यह भी कहा जाता है कि ’किसी नेता या कार्यकर्ता का राहुल से मिल पाना तब तक असंभव है जब तक बायजू उसे हरी झंडी न दे।’ यानी पार्टी में बिना पद के वे सबसे ताकतवर शख्स हैं, जो इन दिनों राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में भी साये की तरह उनके साथ हैं। राहुल के सुपर सिक्स के दूसरे सबसे ताकवर शख्स हैं बिहार के सुपौल जिले से ताल्लुक रखने वाले कौशल किशोर विद्यार्थी, विदेश से पढ़े-लिखे हैं, यंग हैं, डायनामिक हैं और सोशल-डिजिटल मीडिया में खासी दक्षता रखते हैं, राहुल के संसदीय कार्यों को निपटाने का जिम्मा भी इन्हीं के पास है। राहुल के सुपर सिक्स के तीसरे अहम सदस्य हैं केसी वेणुगोपाल जो राजनैतिक फैसलों में राहुल की मदद करते हैं। राहुल के पुराने विश्वस्त सहयोगी कनिष्क सिंह फंड जुटाने का जिम्मा संभालते हैं। राहुल के सुपर सिक्स के पांचवें सदस्य हैं अलंकार सवई और छठे सचिन राव। खड़गे की असली चुनौती राहुल के इस सुपर सिक्स से पार पाने की है।

क्या हुआ संघ की प्रयागराज बैठक में

संघ की प्रयागराज में चली चार दिवसीय ’अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल’ की बैठक का अभी-अभी समापन हुआ है। इस बैठक में संघ के शीर्ष नेता मोहन भागवत और दत्तात्रेय होसाबोले समेत 370 अखिल भारतीय स्तर के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में जाति-वर्णमुक्त समाज और सामाजिक समरसता और जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। पर इस बैठक में संघ की असली चिंता 2024 के आम चुनाव को लेकर दिखी। संघ की चिंता इस बात को लेकर भी सामने आई कि जब-जब अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के महिमा का बखान होता है तो सोशल मीडिया पर अयोध्या के जमीनों के घोटाले के मामले भी तूल पकड़ने लगते हैं। सूत्रों की मानें तो संघ की बैठक में यह तय हुआ है कि अब कैडर अपना सारा ध्यान ज्ञानवापी और मथुरा पर केंद्रित करेगा। कहते हैं संघ की इस बैठक में गुजरात चुनाव की रणनीतियों को लेकर भी खुलासा हुआ है, संघ इस रणनीति पर काम कर रहा है कि पंजाब पैटर्न की तरह गुजरात में भी आम आदमी पार्टी के संगठन में कुछ खाद-पानी डाला जाए, आप जितना बढ़ेगी, कांग्रेस उतना घटेगी और भाजपा के लिए वहां मैदान मारना आसान रहेगा। इस बैठक से एक खबर और निकल कर सामने आई है कि संघ चाहता है कि एक बार गुजरात में वोटिंग खत्म हो जाए उसके बाद ही मनीष सिसौदिया की गिफ्तारी हो।

रतन टाटा की बॉयोग्राफी पर बनेगी फिल्म

टाटा संस के एमिरेट्स चेयरमैन रतन टाटा की अधिकृत बॉयोग्राफी-’रतन एन टाटाः द ऑथराइज्ड बॉयोग्राफी’ अगले माह नवंबर में बाजार में आने को तैयार है। इसको लिखा है केरल कैडर के एक पूर्व आईएएस अफसर थॉमस मैथ्यू ने। इस पुस्तक के प्रकाशक हैं हार्पर कॉलिन्स। माना जा रहा है कि इस पुस्तक की रॉयल्टी के तौर पर प्रकाशक ने लेखक मैथ्यू को दो करोड़ रुपयों की भारी भरकम राशि अदा की है। मैथ्यू पहले भी दो पुस्तक लिख चुके हैं। थॉमस का जलवा कांग्रेसी नेता के.करूणाकरन के जमाने में सबके सिर चढ़ कर बोलता था। प्रणब मुखर्जी जब देश के राष्ट्रपति थे तो सन् 2016 में थॉमस उनके अतिरिक्त सचिव के पद से रिटायर हुए थे। प्रकाशक को उम्मीद है कि रतन टाटा की बॉयोग्राफी मार्केट में आते ही बिक्री के तमाम रिकार्ड तोड़ देगी। रतन टाटा की जिंदगी पर फिल्म और शोज़ बनाने के लिए तमाम बड़े निर्माता और प्रोडक्शन कंपनी थॉमस को इसके राइट्स के लिए मुंह मांगे दाम देने को तैयार हैं, पर थॉमस अभी थोड़ा इंतजार करना चाहते हैं, एक बार वे मार्केट में अपनी इस पुस्तक का पहले रिस्पांस देखना चाहते हैं।

खड़गे का अगला मूव

खड़गे नई अध्यक्षीय जिम्मेदारी के लिए अभी से खुद को तराशने में लग गए हैं, वे सोशल मीडिया खास कर ट्विटर पर एक्टिव दिखने लगे हैं। वे अपने साथ ऐसे किसी पुराने व्यक्ति को जोड़ना चाहते हैं जिन्हें कांग्रेस के छोटे से छोटे कार्यकर्ता की भी पहचान हो, सूत्रों की मानें तो इस काम के लिए उन्होंने सीताराम केसरी के सहयोगी रह चुके नन्हकी ठाकुर का चयन किया है। ठाकुर इन दिनों अजय माकन के दफ्तर में कार्यरत हैं। भले ही खड़गे ने औपचारिक रूप से पार्टी अध्यक्ष पद का जिम्मा न संभाला हो पर उनके पास बड़े नेताओं के खिलाफ षिकायतों की बाढ़ आ गई है। मुकुल वासनिक के खिलाफ शिकायत है कि वे पार्टी विरोधी गतिविधियों में शरीक दिखते हैं। के.राजू के खिलाफ भी लगातार शिकायतें आ रही है। शिकायत तो हिमाचल के प्रभारी राजीव शुक्ला के खिलाफ भी आ रही हैं और भाजपा नेता अनुराग ठाकुर से उनकी गहरी दोस्ती को निशाना बनाया जा रहा है। माना जा रहा है कि हिमाचल के चुनाव के बाद ही खड़गे पार्टी संगठन में व्यापक फेरबदल करेंगे, और अतीत में जी-23 ग्रुप से जुड़े सदस्यों को भी पार्टी संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपेंगे।

क्या राहुल होंगे लोकसभा में नेता

हालांकि राहुल गांधी ने इन बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि ’नए पार्टी अध्यक्ष खड़गे उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपेंगे वे उसे सहर्ष स्वीकार करेंगे।’ सो, कांग्रेस से जुड़े सूत्र खुलासा करते हैं कि लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की बहुत जल्द छुट्टी होने वाली है, यदा-कदा उनकी जुबान लड़खड़ा जाती है और पार्टी को उनके बचाव में भी दिक्कतें आने लगती है। सो माना जा रहा है कि खड़गे अपना ’मास्टर स्ट्रोक’ चलते राहुल गांधी को लोकसभा में कांग्रेस के नए नेता के तौर पर पेश कर सकते हैं। हो सकता है कि राहुल इसके लिए मना न कर पाएं। वहीं राज्यसभा में पार्टी का नेता कौन होगा इसको लेकर कयासों के बाजार गर्म हैं। रेस में सबसे आगे दिग्विजय सिंह का नाम बताया जा रहा है, पर खड़गे की पहली पसंद के तौर पर प्रमोद तिवारी का नाम उभर रहा है। वे काफी पहले से खड़गे को जानते हैं, यूपी से ताल्लुक रखने वाले एक ब्राह्मण नेता है। अध्यक्षीय चुनाव में खड़गे को टक्कर देने वाले शशि थरूर भले ही मात्र 1072 वोट ही ले पाए हों, पर खड़गे लोकसभा में उन्हें नेता पद सौंपने के हिमायती नहीं बताए जाते हैं, खड़गे को लगता है थरूर कभी भी कुछ विवादास्पद बोल जाते हैं।

और अंत में

सौरभ गांगुली बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष अपनी दूसरी पारी खेलने को एकदम तैयार बैठे थे, वैसे भी अध्यक्षीय कार्यकाल बढ़ाए जाने को लेकर बीसीसीआई के संविधान संशोधन प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट से भी मंजूरी मिल गई थी। वैसे भी गांगुली के गृह मंत्री अमित शाह से भी बेहद अच्छे निजी ताल्लुक बताए जाते हैं। शाह जब पिछले दिनों कोलकाता में थे तो वे सौरभ के घर भोजन पर भी पधारे थे। सूत्रों की मानें तो जब बीसीसीआई से जुड़े ठेके कुछ खास कंपनियों और व्यक्तियों को दिए जाने पर सौरभ ने सवाल उठाए तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। माना जा रहा है कि बीसीसीआई के नए अध्यक्ष रोजर बिन्नी महज़ एक रबर स्टांप के मानिंद ही आचरण करेंगे। (एनटीआई-gossipguru.in)

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