नई दिल्ली, 22 जून। देश में एंटी-पेपर लीक कानून आधी रात से लागू कर दी गई है, केंद्र ने शुक्रवार (21 जून) की आधी रात इसका नोटिफिकेशन जारी किया। यह कानून भर्ती परीक्षाओं में नकल और अन्य गड़बड़ियां रोकने के लिए लाया गया है।
इस कानून के तहत, पेपर लीक करने या आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने पर कम से कम 3 साल जेल की सजा होगी। इसे ₹10 लाख तक के जुर्माने के साथ 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
परीक्षा संचालन के लिए नियुक्त सर्विस प्रोवाइडर अगर दोषी होता है तो उस पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना होगा। सर्विस प्रोवाइडर अवैध गतिविधियों में शामिल है, तो उससे परीक्षा की लागत वसूली जाएगी।
NEET और UGC-NET जैसी परीक्षाओं में गड़बड़ियों के बीच यह कानून लाने का फैसला बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे पहले, केंद्र सरकार और जांच एजेंसियों के पास परीक्षाओं में गड़बड़ी से जुड़े अपराधों से निपटने के लिए अलग से कोई ठोस कानून नहीं था।
पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, इसी साल 6 फरवरी को लोकसभा और 9 फरवरी को राज्यसभा से पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को बिल को मंजूरी देकर इसे कानून में बदल दिया।
इस कानून में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB), बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (IBPS) और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की परीक्षाएं शामिल होंगी। केंद्र के सभी मंत्रालयों, विभागों की भर्ती परीक्षाएं भी इस कानून के दायरे में होंगी। इसके तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।
एंटी-पेपर लीक कानून के तहत, अगर किसी गड़बड़ी में एग्जाम सेंटर की भूमिका पाई जाती है तो उस सेंटर को 4 साल तक के लिए सस्पेंड किया जा सकता है। यानी उस सेंटर को अगले 4 साल तक के लिए कोई भी सरकारी एग्जाम कराने का अधिकार नहीं होगा। किसी संस्थान की संपत्ति कुर्क करने और जब्त करने का भी प्रावधान है और उससे परीक्षा की लागत भी वसूली जाएगी।
कानून के तहत, कोई भी अधिकारी जो DSP या ACP के पद से नीचे न हो, परीक्षा में गड़बड़ी के मामलों की जांच कर सकता है। केंद्र सरकार के पास किसी भी मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपने की शक्ति है।