ऐक्शन में केंद्र सरकार; ED से लेकर CBI के नाम तक पर ठगी, हो रही डिजिटल गिरफ्तारी

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नई दिल्ली, 15 मई। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन एजेंसियों के नाम पर लोगों को धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी वारदातों को अंजाम देने वाले साइबर अपराधियों की जालसाजी से सावधान रहने की सलाह दी है। साथ ही इनके बारे में जागरूकता फैलाने तथा इसकी शिकायत तत्काल साइबर अपराधी हेल्पलान पर करने की भी सलाह दी है। गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि साइबर अपराधी खुद को पुलिस, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), भारतीय रिजर्व बैंक जैसी केंद्रीय एजेंसियों का अधिकारी बताकर जालसाजी कर रहे हैं। ये साइबर अपराधी एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध का हिस्सा हैं जिसे सीमा पार स्थित सिंडिकेट द्वारा ऑपरेट किया जाता है।

इसमें कहा गया है कि माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से I4C (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र) ने पहले ही ऐसी गतिविधियों में शामिल 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को ब्लॉक कर दिया है। इसके अलावा, धोखेबाजों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सिम कार्ड, मोबाइल डिवाइस और धोखाधड़ी वाले खातों को भी ब्लॉक किया जा रहा है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, “I4C ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘साइबरदोस्त’ (एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि) पर इन्फोग्राफिक्स और वीडियो के माध्यम से विभिन्न अलर्ट भी जारी किए हैं।”

मासूम लोगों को ऐसे फंसाते हैं धोखेबाज
मंत्रालय ने बताया कि ये धोखेबाज आमतौर पर संभावित पीड़ित को कॉल करते हैं और कहते हैं कि पीड़ित ने कोई पार्सल भेजा है या प्राप्त किया है जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है। कभी-कभी, वे यह भी सूचित करते हैं कि पीड़ित का कोई करीबी या प्रिय व्यक्ति किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है। ऐसे कथित ‘केस’ में समझौता करने के लिए पैसे की मांग की जाती है। कुछ मामलों में, पीड़ितों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ का सामना करना पड़ता है और उनकी मांग पूरी न होने तक पीड़ित को स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर धोखेबाजों के लिए उपलब्ध रहने पर मजबूर किया जाता है। ये जालसाज पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर बनाए गए स्टूडियो का इस्तेमाल करने में माहिर होते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं।

मंत्रालय ने बताया कि देश भर में कई पीड़ितों ने ऐसे अपराधियों के कारण भारी भरकम नुकसान झेला है और पैसे गंवाए हैं। गृह मंत्रालय ने कहा, “यह एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है और पता चला है कि इसे सीमा पार अपराध सिंडिकेट द्वारा संचालित किया जाता है।” गृह मंत्रालय के तहत I4C देश में साइबर अपराध से निपटने से संबंधित गतिविधियों का समन्वय करता है। एचटी द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 2021 में अपनी स्थापना के बाद से, I4C के सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (CFCFRMS) ने पहले ही 600 करोड़ रुपये से अधिक को ऑनलाइन घोटालेबाजों के हाथों में जाने से रोक दिया है और बचाया है।

CFCFRMS भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) द्वारा विकसित एक ऑनलाइन सिस्टम है। यह वित्तीय साइबर धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और वित्तीय क्षेत्रों में धोखाधड़ी के पैसों को जाने से रोकने के लिए गृह मंत्रालय (एमएचए) के अंतर्गत काम करता है। गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि वह इन धोखाधड़ी से निपटने के लिए अन्य मंत्रालयों और उनकी एजेंसियों, आरबीआई और अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसमें कहा गया है कि I4C मामलों की पहचान और जांच के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों को इनपुट और तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रहा है।

तत्काल इस नंबर पर करें संपर्क
मंत्रालय ने कहा है कि राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर साइबर अपराधियों द्वारा पुलिस अधिकारियों, केंद्रीय जांच ब्यूरो , नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, प्रवर्तन निदेशालय और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों के नाम पर धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी वारदातों को अंजाम देने के संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। सरकार की ओर से नागरिकों को इस प्रकार की जालसाजी से सावधान रहने और इनके बारे में जागरुकता फैलाने की सलाह दी जाती है। ऐसी कॉल आने पर नागरिकों को तत्काल साइबरक्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर सहायता के लिए इसे रिपोर्ट करना चाहिए।

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