कोटा, 16 मार्च। मस्जिद में अरबी पढ़ने जाता था मासूम, कमरे में ले जा कर किया था कुकर्म: राजस्थान में मौलवी नसीम को उम्रकैद की सज़ा, जज ने कविता पढ़ कर प्रकट किए भाव
न्यायाधीश दीपक दुबे ने कहा, “मेरे नन्हे-मुन्ने मासूम फरिश्ते। तुम निर्दोष व निष्पाप हो। तुम्हारी मुस्कान ही सारा जहान है। तुम्हारी सूरत में अल्लाह का नूर बसता है।”
राजस्थान के कोटा में अदालत ने मस्जिद में नाबालिग बच्चे से कुकर्म के मामले में एक मौलवी को उम्रकैद की सजा दी है।
23 वर्षीय मौलवी का नाम नसीम खान है जो मूलतः हरियाणा के पलवल का निवासी है। अदालत ने नसीम पर 21 हजार रुपए का जुर्माना भी ठोंका है। सजा के बाद जज ने पीड़ित बच्चे के लिए एक कविता भी पढ़ी। इस सजा का एलान बुधवार (13 मार्च, 2024) को हुआ है।
दैनिक भास्कर के मुताबिक यह मामला 22 अक्टूबर 2023 का है। यहाँ कक्षा 5 में पढ़ने वाले 10 साल के मासूम बच्चे के चाचा ने तब थाना बूढ़ादीत पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत में उन्होंने बताया था कि पीड़ित 3 बजे दीनी तालीम लेने और अरबी पढ़ने मस्जिद में गया था। इस मस्जिद में हरियाणा के पलवल निवासी नसीम खान मौलवी के तौर पर काम करता था। मौलवी बच्चे को अकेला पा कर एकांत वाले कमरे में ले गया। यहाँ उसने बच्चे के साथ कुकर्म किया। जब बच्चा रोने लगा तो नसीम ने कहीं बताने पर जान से मार डालने की धमकी दे कर उसे चुप करवाया।
हालाँकि, बच्चे ने घर आ कर पूरी बात बता दी थी। पुलिस ने तब आरोपित मौलवी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और IPC की धारा 377 व 506 आदि के तहत कार्रवाई की थी। आरोपित मौलवी को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया गया था। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई लगभग 5 महीने तक चली। सरकारी वकील ललित कुमार शर्मा ने मीडिया से बताया कि पुलिस ने महज 14 दिनों के अंदर जाँच पूरी कर के कोर्ट में चालान पेश कर दिया था। 24 दस्तावेजों वाले इस चालान में 11 गवाहों के बयान भी दर्ज थे।
बचाव पक्ष के वकील ने अपने मुअक्किल को बेगुनाह बताया। हालाँकि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश सबूतों को अदालत ने पुख्ता माना। अभियोजन पक्ष ने नसीम को फाँसी देने की माँग रखी थी। कोटा जिले के पॉस्को कोर्ट नंबर 3 में न्यायाधीश दीपक दुबे ने अंत में आरोपित मौलवी को अंतिम साँस तक जेल में रहने और 21 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। सजा पाने के बाद जेल जाते हुए मौलवी नसीम अपने मुँह को छिपाता रहा।
वहीं सजा देने के बाद न्यायाधीश ने इबादतगाह में घिनौना कृत्य करने वाले मौलवी और पीड़ित बच्चे पर आधारित एक कविता भी टिप्पणी के तौर पर कही। अपनी कविता में न्यायाधीश दीपक दुबे ने कहा, “मेरे नन्हे-मुन्ने मासूम फरिश्ते। तुम निर्दोष व निष्पाप हो। तुम्हारी मुस्कान ही सारा जहान है। तुम्हारी सूरत में अल्लाह का नूर बसता है। तुम मन-मस्तिष्क से कटु स्मृतियों को मिटा दो। तुम्हारा गुनहगार हमने आजीवन सलाखों के पीछे भेज दिया है। अब तुम हँस-खेल कर इस जीवन को यापन करो। तुम्हारी आँखों के आँसू बहता हुआ घर नहीं आएगा”।