अगर आज के युग में, सुदामा श्री कृष्ण को चावल देते हैं… चुनावी बांड पर फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट पर पीएम मोदी का तंज

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नई दिल्ली, 22फरवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं. इस दौरान वो संभल पहुंचे और कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास किया. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी और आचार्य प्रमोद कृष्णम भी मौजूद रहे. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश की धरती से भक्ति और अध्यात्म की एक और धारा प्रवाहित होने को लालायित है. आज एक और पवित्र धाम की नींव रखी जा रही है. मुझे भव्य कल्कि धाम के शिलान्यास को सौभाग्य मिला है. मुझे विश्वास है कि कल्कि धाम भारतीय आस्था के एक और विराट केंद्र के रूप में उभरकर सामने आएगा.

आज सुदामा भगवान कृष्ण को चावल दें तो मामला SC पहुंच जाए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा, “उन्होंने (आचार्य प्रमोद कृष्णम) कहा कि हर किसी के पास देने के लिए कुछ न कुछ होता है लेकिन मेरे पास कुछ नहीं है, मैं सिर्फ अपनी भावना व्यक्त कर सकता हूं. अच्छा हुआ कुछ दिया नहीं, ज़माना ऐसा बदल चुका है कि आज के युग में अगर सुदामा श्री कृष्ण को एक पोटली चावल देते और वीडियो सामने आता तो सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल हो जाती और फैसला आता कि भगवान कृष्ण को भ्रष्टाचार में कुछ दिया गया था और भगवान कृष्ण भ्रष्टाचार कर रहे थे.”

परिवर्तन का यही समय है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज पहली बार भारत उस मकाम पर है जहां हम अनुसरण नहीं कर रहे, उदाहरण पेश कर रहे हैं. आज पहली बार भारत को टेक्नोलॉजी और डिजिटल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में संभावनाओं के केंद्र के रूप में देखा जा रहा है. आज एक ओर हमारे तीर्थों का विकास हो रहा है तो दूसरी ओर शहरों में हाई टेक इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार हो रहा है. आज अगर मंदिर बन रहे हैं तो देश भर में नए मेडिकल कॉलेज भी बन रहे हैं. यह परिवर्तन इस बात का प्रमाण है कि समय का चक्र घूम चुका है, एक नया दौर आज हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा है. इसलिए मैंने लाल किले से कहा था ‘यही समय है, सही समय है.”

इसी मंदिर के लिए पहले की सरकार के समय लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ” मैं प्रमोद कृष्णम को एक राजनैतिक व्यक्ति के रूप में दूर से जानता था लेकिन जब कुछ दिन पहले उनसे मुलाकात हुई तो पता चला कि वे ऐसे धार्मिक-अध्यात्मिक कार्यों में कितनी मेहनत से लगे रहते हैं. कल्कि मंदिर के लिए इन्हें पहले की सरकारों के समय लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी, कोर्ट के चक्कर भी लगाने पड़े. आज हमारी सरकार में वे निश्चिंत होकर इस काम को शुरु कर पाए हैं.”

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