प्रधानमंत्री जी का सपना है कि देश आयुष्मान बने, जहां हर नागरिक को स्वास्थ्य सुविधाएं सस्ती, सुलभ एवं उपलब्ध हों- डॉ मांडविया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, एम्स झज्जर के 5वें स्थापना दिवस पर मुख्य भाषण दिया

0 19

नई दिल्ली, 13फरवरी। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने सोमवार को एम्स, झज्जर के राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआई) के 5वें स्थापना दिवस समारोह को वर्चुअल तरीके से संबोधित किया। इस अवसर पर भारत में ब्रिटिश उप उच्चायुक्त सुश्री क्रिस्टीना स्कॉट भी उपस्थित थीं।

इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए डॉ मांडविया ने कहा कि जिस तरह से राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआई) ने पिछले 5 वर्षों में प्रगति की है, वह संस्थान के दैनिक कामकाज में शामिल डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के कौशल और समर्पण का प्रमाण है। उन्होंने इस संस्थान को रोगियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने “सिर और गर्दन के कैंसर में ट्रांसलेशनल रिसर्च के लिए एम्स लिवरपूल सहयोगात्मक केंद्र – एएलएचएनएस” के लिए लिवरपूल विश्वविद्यालय और एम्स, नई दिल्ली के बीच सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर कार्यक्रम की भी अध्यक्षता की। एएलएचएनएस लिवरपूल हेड एंड नेक सेंटर (एलएनएचसी), लिवरपूल विश्वविद्यालय और एम्स नई दिल्ली में हेड एंड नेक कैंसर यूनिट के बीच पहले से मौजूद सहयोग और संबंधों पर आधारित होगा।

एएलएचएनएस संयुक्त अनुसंधान और शिक्षा कार्यक्रम विकसित करने के लिए दोनों संस्थानों के संसाधनों को मिलाकर सिर और गर्दन के कैंसर रोगियों की देखभाल को प्रभावित करेगा, जिससे अनुसंधान नतीजे और शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। इसका उद्देश्य सामान्य एसओपी विकसित करना भी है ताकि जातीय रूप से दो विविध आबादी के उच्च गुणवत्ता वाले नैदानिक ​​डेटासेट और ऊतक भंडार तक पहुंच प्राप्त हो सके। इन विविध आबादी के लोगों में कैंसर पैदा करने वाले कारक काफी भिन्न (भारतीय आबादी में धूम्र रहित तंबाकू उत्पादों के विपरीत, यूके की आबादी में सिगरेट धूम्रपान, शराब पीना और मानव पेपिलोमा वायरस) होते हैं। एएलएचएनएस का लक्ष्य अत्याधुनिक चिकित्सा नवाचार और वैयक्तिकृत कैंसर उपचार प्रदान करने के लिए सामान्य रूप से स्पष्ट रणनीतिक लक्ष्य रखना भी है।

डॉ मांडविया ने बताया कि प्रधानमंत्री का सपना है कि देश आयुष्मान बने, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सस्ती, सुलभ और हर नागरिक के लिए उपलब्ध हों। इलाज में अमीर-गरीब का भेदभाव नहीं होना चाहिए। सभी को समान गुणवत्ता मानक के साथ स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें, इसके लिए सरकार ने पिछले 10 वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र को विकास से जोड़कर काम किया है। आयुष्मान भारत पीएम-जेएवाई और आयुष्मान आरोग्य मंदिर योजना की उपलब्धियों पर उन्होंने कहा कि देश के 60 करोड़ लोगों को सालाना 5 लाख रुपये का पारिवारिक स्वास्थ्य बीमा देकर गंभीर बीमारियों का मुफ्त इलाज मुहैया कराया गया है। इस योजना के तहत आज गरीब भी उन अस्पतालों में अपना इलाज करा पाते हैं जहां पहले सिर्फ अमीर लोग ही अपना इलाज कराते थे। अब तक 6 करोड़ से ज्यादा लोग इस योजना के तहत इलाज करा चुके हैं, जिससे इन गरीबों को 1,12,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हुई है। उन्होंने कहा, “1.64 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना के पीछे एक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्राथमिक कैंसर जांच पहले चरण में ही की जाए। आज, जिला अस्पतालों में भी जटिल ऑपरेशन किए जा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना ने न सिर्फ करोड़ों लोगों की जान बचाई है बल्कि उन्हें गरीबी रेखा से नीचे जाने से भी बचाया है।

2025 तक टीबी को खत्म करने के प्रयास में भारत की सफलताओं पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मांडविया ने कहा, “प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत हर साल देश के 25 लाख टीबी रोगियों को मुफ्त दवाएं, परीक्षण, पोषण आदि प्रदान किया जाता है, जिसमें सालाना लगभग 3000 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। इसके अलावा, टीबी मरीजों को 500 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता भी दी जाती है, जिसमें पिछले 5 वर्षों में 2756 करोड़ रुपये का भुगतान सीधे मरीजों के खातों में किया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश के 10 लाख टीबी रोगियों को सेवाभावी नागरिक गोद ले रहे हैं और उन्हें हर महीने पोषक तत्वों से भरपूर भोजन भी करा रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भारत सरकार के सिकल सेल उन्मूलन कार्यक्रम का भी जिक्र किया जिसमें 3 साल में करीब 7 करोड़ लोगों की सिकल सेल स्क्रीनिंग की जाएगी और सिकल सेल की दवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएंगी, जिस पर सरकार करीब 910 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

पृष्ठभूमि:

राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, झज्जर को 12 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया था। एनसीआई झज्जर में प्रतिदिन औसतन 500 से अधिक ओपीडी रोगी इलाज के लिए आते हैं और प्रत्येक ओपीडी दिन में 60 से अधिक कैंसर रोगी पंजीकृत होते हैं। यहां सप्ताह में विकिरण चिकित्सा के औसतन 800-1000 सत्र होते हैं, जबकि 2023 में 30,000 से अधिक रोगियों का कीमोथेरेपी डे केयर कराया गया। एनसीआई झज्जर में अत्याधुनिक मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर हैं जहां सप्ताह में औसतन 80-100 ऑन्को सर्जरी की जाती हैं।

एनसीआई झज्जर ने हाल ही में मरीजों के इलाज और देखभाल दोनों पर ध्यान केंद्रित करते हुए नई ऑन्कोलॉजी और योग सुविधाएं शुरू की हैं। यह समग्र कैंसर देखभाल पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने रोगियों को आध्यात्मिक कैंसर देखभाल, फिजियोथेरेपी, साइको-ऑन्कोलॉजी और ऑन्कोलॉजी उत्तरजीविता सेवाएं भी प्रदान करता है।

एनसीआई झज्जर ने हाल ही में मरीजों के इलाज और देखभाल दोनों पर ध्यान केंद्रित करते हुए नई ऑन्कोलॉजी और योग सुविधाएं शुरू की हैं। यह समग्र कैंसर देखभाल पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने रोगियों को आध्यात्मिक कैंसर देखभाल, फिजियोथेरेपी, साइको-ऑन्कोलॉजी और ऑन्कोलॉजी उत्तरजीविता सेवाएं भी प्रदान करता है।

इस अवसर पर प्रोफेसर डॉ. एम श्रीनिवास, निदेशक, एम्स नई दिल्ली; प्रोफेसर टिम जोन्स, कुलपति, लिवरपूल विश्वविद्यालय; एनसीआई-एम्स के हेड प्रोफेसर आलोक ठाकर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और एम्स नई दिल्ली के संकाय सदस्य भी उपस्थित थे।

Leave A Reply

Your email address will not be published.