डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई ने सिद्ध आरोग्य रैली और जागरूकता अभियान के अंतर्गत दिल्ली से कन्याकुमारी तक बाइकर्स रैली को झंडी दिखाकर किया रवाना

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नई दिल्ली, 25जनवरी। केंद्रीय आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्र भाई ने सीसीआरएस (सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन सिद्ध) और आयुष मंत्रालय के (एनआईएस) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिद्ध (एनआईएस) द्वारा आयोजित ‘सिद्ध’ आरोग्य रैली और जागरूकता अभियान के अंतर्गत दिल्ली से कन्याकुमारी तक बाइकर्स रैली को झंडी दिखाकर रवाना किया। यह कार्यक्रम आयुष भवन, आयुष मंत्रालय परिसर नई दिल्ली में संपन्न हुआ। सिद्ध आरोग्य रैली और जागरूकता अभियान (एसडब्ल्यूएआरसी) नई दिल्ली से कन्याकुमारी तक लगभग 3333 किलोमीटर की दूरी तय करने वाला एक परिवर्तनकारी 20-दिवसीय अभियान है जो चिकित्सा की सिद्ध पद्धति का प्रदर्शन करेगा। रैली 21 जागरूकता शिविर बिंदुओं के साथ 8 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से होकर गुजरेगी।

डॉ. मुंजपारा ने इस अवसर पर कहा कि सिद्ध चिकित्सा पद्धति सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य और आरोग्य क्षेत्र में सिद्ध की भूमिका और महत्त्व को ध्यान में रखते हुए आयुष मंत्रालय ने राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान और केंद्रीय सिद्ध अनुसंधान परिषद की स्थापना की है।

राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान की निदेशक डॉ. मीना कुमारी ने कार्यक्रम में सभी का स्वागत करते हुए कहा कि यह बाइकर्स रैली आयुष चिकित्सा प्रणाली का समर्थन करेगी, बाइकर्स रैली के साथ हम पूरे देश में सिद्ध चिकित्सा पद्धति का संदेश प्रसारित करेंगे और युवाओं को इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति से जोड़ेंगे। बाइकर्स हैशटैग #ScientistsOnBike #DoctorsOnBike #FacultiesOnBike #ResearchersOnBike के साथ सक्रिय सिद्ध चिकित्सा एम्बेसडर के रूप में काम करेंगे।

इस अवसर पर आयुष मंत्री के साथ संयुक्त सचिव बी.के. सिंह, संयुक्त सचिव डॉ. कविता गर्ग, डीडीजी सत्यजीत पॉल, आयुष मंत्रालय के सलाहकार यूनानी डॉ. एम.ए. कासमी, आयुष मंत्रालय के प्रमुख सलाहकार प्रमोद कुमार पाठक, यूनानी बोर्ड के अध्यक्ष, एनसीआईएसएम – सिद्ध और सोवा रिग्पा, डॉ. के. जगन्नाथन तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताओं में जागरूकता कार्यक्रम, जन प्रतिनिधियों, सरकारी गणमान्य व्यक्तियों आदि से भेंट और अभिवादन सत्र शामिल हैं, जिसमें 20 बाइकर्स और 2 स्टैंड बाय बाइकर्स शामिल हैं।

एसडब्ल्यूआरएसी में यह सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक मीडिया रणनीति शामिल है कि यह व्यापक रूप से ध्यान आकर्षित करे, विविध दर्शकों के साथ प्रतिध्वनित हो और सभी क्षेत्र में एक स्थायी प्रभाव छोड़े।

चिकित्सा की सिद्ध पद्धति भारतीय उपमहाद्वीप में नवीन चिकित्सीय उपायों और उपचार के तौर-तरीकों के साथ स्वास्थ्य देखभाल की सबसे पुरानी संहिताबद्ध परंपराओं में से एक है। इसे आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त आयुष प्रणालियों के हिस्से के रूप में राज्य का संरक्षण प्राप्त है और यह सार्वजनिक तथा निजी स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं के माध्यम से आबादी के काफी बड़े हिस्से की जरूरतों को पूरा करता है।

सिद्ध प्रणाली में शिक्षा और प्रशिक्षण, स्वास्थ्य सेवाओं, अनुसंधान और दवा मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक बढ़ता संस्थागत नेटवर्क है। सिद्ध के लिए राष्ट्रीय संस्थान और अनुसंधान परिषद की स्थापना ने स्नातकोत्तर शिक्षा और अनुसंधान में गुणवत्ता मानकों, दवाओं के मानकीकरण और सत्यापन, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में बेहतर पहुंच और सिद्ध चिकित्सकों की विविध व्यावसायिक क्षमता को अपनाकर विकास प्रक्रिया को गति दी है।

सिद्ध चिकित्सा की विशिष्टता इसके समग्र दृष्टिकोण में निहित है – सरल जीवनशैली व्यवहारों को अपनाकर शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक आरोग्य, छह स्वादों के लिए प्रासंगिक आहार नियम, सुरक्षित और प्रभावी पौधों पर आधारित दवाओं और खनिजों और पशु उत्पत्ति की दवाओं का उपयोग। सिद्ध प्रणाली रोग मुक्त जीवन जीने के लिए 3 महत्वपूर्ण शक्तियों – वली, अज़हल और अय्याम के संतुलन की स्थिति पर बल देती है। सिद्ध चिकित्सा पद्धति के अनुसार किसी व्यक्ति के जीवन काल को 3 भागों में विभाजित किया गया है, अर्थात् वथा कालम, पीठ कालम और काबा कालम, जिनमें से प्रत्येक में 33 वर्ष होते हैं। मुप्पु, सिद्ध काया कर्पम और सिद्धर योगम सिद्ध चिकित्सा पद्धति के मुकुट हैं। वर्मम और थोक्कनम जैसी बाहरी थेरेपी भी पद्धति को शक्ति देती हैं।

स्वस्थ जीवन के लिए सिद्ध चिकित्सा का मूल सिद्धांत भोजन और जीवन शैली है। ‘भोजन ही औषधि है और औषधि ही भोजन है’ यह सिद्ध चिकित्सा पद्धति के मूल सिद्धांतों में से एक है।

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