‘प्राण प्रतिष्ठा’ के LIVE पर रोक मामले में SC ने की तमिल सरकार की खिंचाई, सरकार ने कहा कोई नहीं था प्रतिबंध

0 63

नई दिल्ली,22 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु सरकार से पूरे तमिलनाडु के मंदिरों में अयोध्या में राम लला की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के सीधे प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने के उसके कथित मौखिक आदेश पर सवाल उठाया. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार इस आधार पर ऐसे आयोजनों पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती कि कुछ क्षेत्रों में हिंदू “अल्पसंख्यक” हैं.

तमिलनाडु सरकार की खिंचाई
पीठ ने कथित तौर पर ऐसा सामान्य आदेश देने के लिए तमिलनाडु सरकार की खिंचाई की और कहा कि केवल इस आधार पर अनुमति देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि उस स्थान पर अन्य समुदाय रह रहे हैं. अदालत ने इन आदेशों को “अत्याचारी” कहा और राज्य को ऐसी अनुमतियों से इनकार नहीं करने का निर्देश दिया.

अधिकारी मौखिक निर्देशों पर कार्य नहीं करेंगे
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में दर्ज किया, “हम मानते हैं और विश्वास करते हैं कि अधिकारी कानून के अनुसार कार्य करेंगे, न कि मौखिक निर्देशों पर. अधिकारी ऐसे लाइव टेलीकास्ट की अनुमति मांगने वाले आवेदन की जांच करेंगे और कानून के अनुसार इससे निपटेंगे. यदि खारिज कर किया है तो फिर ऐसे किसी भी अनुरोध को अस्वीकार करने के लिए कारण बताएं.

इस मामले पर Tamil Nadu Hindu Religious and Charitable Endowments मंत्री पीके शेखर बाबू ने कहा कि अयोध्या राम मंदिर में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह का सीधा प्रसारण देखने पर जनता पर कोई प्रतिबंध नहीं है. “एचआर और सीई मंत्रालय ने किसी भी चीज पर प्रतिबंध नहीं लगाया है. मंदिर के अंदर या बाहर अन्नधनम (जरूरतमंदों को भोजन देना) या एलईडी स्क्रीन (‘प्राण प्रतिष्ठा’ का प्रसारण देखने के लिए) लगाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.”

मंत्री की प्रतिक्रिया केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित भाजपा नेताओं के आरोपों के बाद आई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य पुलिस ने कई मंदिर परिसरों से लाइव प्रसारण देखने के लिए लगाई गई एलईडी स्क्रीन हटा दी हैं.

अध्यात्म का राजनीति के साथ जोड़
उन्होंने कहा कि कांचीपुरम जिले के कामाक्षी अम्मन मंदिर में लगाई गई एलईडी स्क्रीन भी. जहां सीतारमण प्राण प्रतिष्ठा देखने वाली थीं, पुलिस ने उन्हें “उखाड़” दिया. शेखर बाबू ने कहा कि राज्य सरकार ने कानून के मुताबिक काम किया. “कानून के अनुसार, किसी को अनुमति मिलनी चाहिए. यदि उचित अनुमति है, तो हम इसकी अनुमति देंगे. लेकिन अगर कोई अध्यात्म को राजनीति के साथ जोड़ता है या अध्यात्म को राजनीतिक उपकरण के रूप में उपयोग करता है, तो सरकार कानून के अनुपालन में कार्रवाई करेगी.

Leave A Reply

Your email address will not be published.