नई दिल्ली, 2जनवरी।डीआरडीओ सोमवार को अपना 66वां स्थापना दिवस मना रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत, डीआरडीओ ने भारत के ‘मिसाइल मैन’ तथा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को पुष्पांजलि अर्पित की। डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख डॉ. वीएस अरुणाचलम को भी पुष्पांजलि अर्पित की गई, जिनका अगस्त 2023 में निधन हो गया था।
डीआरडीओ से संबंधित लोगों को संबोधित करते हुए, डीआरडीओ के अध्यक्ष ने डीआरडीओ के सभी कर्मचारियों और उनके परिवारों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि एक घटनापूर्ण वर्ष बीत चुका है और एक नया वर्ष शुरू होने वाला है। उन्होंने वैज्ञानिकों से राष्ट्र के लिए नवाचार और सृजन करने को कहा।
डीआरडीओ के अध्यक्ष ने डीआरडीओ की विभिन्न उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और कहा कि वर्ष के दौरान, डीआरडीओ द्वारा विकसित कई प्रणालियों को उपयोगकर्ताओं को प्रदान, शामिल या सौंपा गया है।
इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष 1 लाख 42 हजार करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की डीआरडीओ की कई विकसित प्रणालियों को शामिल करने हेतु आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) भी प्रदान की गई है। यह किसी भी वर्ष में डीआरडीओ द्वारा विकसित प्रणालियों के लिए दी गई अब तक की सबसे अधिक राशि है। यह रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता का एक महत्वपूर्ण घटक है।
उन्होंने कहा कि कई प्रणालियां या तो पूरी हो चुकी हैं या फिर उपयोगकर्ता मूल्यांकन के अंतिम चरण में हैं और कई अन्य प्रणालियां विकासात्मक परीक्षणों से गुजर रही हैं। उन्होंने डीआरडीओ के लिए यह सुनिश्चित करने का लक्ष्य निर्धारित किया कि जो प्रणाली उपयोगकर्ता परीक्षणों के अधीन हैं और विकासात्मक परीक्षणों के अंतिम चरण में हैं, उन्हें 2024 में उपयोगकर्ता द्वारा स्वीकार किया जाए, ताकि वे शामिल किए जाने के लिए तैयार हों। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ के प्रयोगशालाओं को जटिल व अपनी तरह की पहली प्रणालियों के विकास एवं उन्नयन और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के विकास पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, जो देश को आत्मनिर्भर और रक्षा प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनाने में सक्षम बनाएगा।
डीआरडीओ के अध्यक्ष ने अपने भाषण में सफलता की कुछ अन्य कहानियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए बेहद गर्व की बात थी जब माननीय प्रधानमंत्री ने 25 नवंबर, 2023 को एलसीए ट्रेनर में उड़ान भरी।
उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि 11 मई 2023 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर, माननीय प्रधानमंत्री ने आईआरईएल विजाग में रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (आरईपीएम) संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया। यह संयंत्र डीआरडीओ की तकनीक का उपयोग करके स्थापित किया गया था। उन्होंने कहा कि स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित हेवी वेट टॉरपीडो (एचडब्ल्यूटी) ‘वरुणास्त्र’ का भारतीय नौसेना द्वारा 05 जून 2023 को समुद्र के नीचे एक लक्ष्य के खिलाफ लाइव वॉरहेड के साथ सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। यह देश या शायद दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रदर्शन था। उन्होंने पहली बार तेजस से हवा से हवा में मार करने वाली एस्ट्रा एमके1 मिसाइल दागने, स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत II पर एलसीए नेवी की लैंडिंग, राष्ट्रपति भवन, जी-20 शिखर सम्मेलन, गणतंत्र दिवस परेड और बीटिंग रिट्रीट समारोह में डीआरडीओ के डी4 सिस्टम की तैनाती का भी जिक्र किया। उन्होंने आगे कहा कि डीआरडीओ का समुद्र विज्ञान अनुसंधान पोत ‘आईएनएस सागरध्वनि’ ‘महासागर अनुसंधान एवं विकास’ में हिंद महासागर क्षेत्र के रिम देशों के साथ दीर्घकालिक वैज्ञानिक साझेदारी स्थापित करने के लिए ओमान के लिए सागर मैत्री मिशन -4 पर रवाना हुआ।
गगनयान कार्यक्रम के लिए क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) के बारे में भी प्रकाश डाला, जिसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।
रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने पिछले सप्ताह संसद में सौंपी अपनी रिपोर्ट में डीआरडीओ की सराहना की है और रक्षा अनुसंधान एवं विकास का बजट बढ़ाने की सिफारिश की है।
उन्होंने यह भी कहा कि डीआरडीओ ने इस साल 141 से अधिक पेटेंट दाखिल किए और 212 पेटेंट दिए गए और उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में यह संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़ेगी। उन्होंने आगे कहा कि डीआरडीओ द्वारा 2019 में शुरू की गई पांच युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं ने अब प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है और ये उभरती विघटनकारी प्रौद्योगिकियों में हमारे पथप्रदर्शक बनने जा रहे हैं। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि 15 डीआरडीओ उद्योग अकादमिक उत्कृष्टता केंद्र (डीआईए-सीओई) को पहले ही कई परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई है और यह डीआरडीओ प्रयोगशालाओं को निम्न टीआरएल से उच्च टीआरएल में कुछ भावी प्रौद्योगिकियों को निर्बाध रूप से परिवर्तित करने में सक्षम बनाएगी।
डीडीआरएंडडी के सचिव एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि उद्योग को सक्षम बनाने की दिशा में, डीआरडीओ अपने प्रणालियों को मूर्त रूप देने के लिए उनके साथ साझेदारी कर रहा है। डीआरडीओ की परीक्षण सुविधाएं उद्योग जगत के उपयोग के लिए खोल दी गई हैं। उन्होंने बताया कि अब तक डीआरडीओ द्वारा विकसित 1650 टीओटी भारतीय उद्योगों को सौंपे जा चुके हैं। वर्ष 2023 के दौरान, डीआरडीओ उत्पादों के लिए भारतीय उद्योगों के साथ 109 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए लाइसेंसिंग समझौतों (एलएटीओटी) पर हस्ताक्षर किए गए।
प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) एवं संबद्ध योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाने हेतु, रक्षा मंत्री ने डीएई के पूर्व सचिव डॉ. काकोडकर और नीति आयोग के सदस्य डॉ. सारस्वत की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के डीएआरपीए की तरह अत्याधुनिक अनुसंधान को वित्तपोषित करने के तरीके सुझाएगी। समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और एक बार माननीय रक्षा मंत्री द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद इस योजना को 2024 में कार्यान्वित किया जाएगा।
उन्होंने अपने संबोधन का समापन करते हुए यह अपेक्षा व्यक्त की कि सभी को उच्च उपयोगकर्ता संतुष्टि हासिल करने और हमारे सभी प्रणालियों व प्रौद्योगिकियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता/मशीन लर्निंग को शामिल करने पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि प्रत्येक प्रयोगशाला को हमारी सभी प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों में एआई/एमएल को सक्रिय रूप से शामिल करने के लिए एक एआई/एमएल चैंपियन नियुक्त करना चाहिए।
उन्होंने विस्फोटकों और संबंधित प्रक्रियाओं की स्थिति को स्वचालित करने हेतु एचईएमआरएल पुणे द्वारा विकसित क्वांटिटी-डिस्टेंस सॉफ्टवेयर का शुभारंभ भी किया। यह सॉफ्टवेयर सभी रक्षा मंत्रालय प्रतिष्ठानों के लिए एक आवश्यक उपकरण है जो अधिकतम समय में और अधिक सटीकता के साथ विस्फोटक संबंधी बुनियादी ढांचे का निर्माण करने में संलग्न हैं।