उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक समर्पित क्षमता निर्माण प्रकोष्ठ स्थापित किया जाएगा : अजय तिर्की
नई दिल्ली, 25 नवंबर।भूमि संसाधन विभाग के सचिव, अजय तिर्की ने नई दिल्ली में “उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों में भूमि प्रशासन-कल के लिए डिजिटलीकरण समाधान” विषय पर भूमि संवाद सप्तम के लिए एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। भूमि संसाधन विभाग ने भूमि सप्तम के एक भाग के रूप में डिजिटल भारत भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) और अन्य पहलों/मुद्दों के अंतर्गत हुई प्रगति की समीक्षा के लिए उत्तर-पूर्वी राज्यों और स्वायत्त जिला परिषदों (एडीसी) के साथ एक बैठक आयोजित की थी।
भूमि संसाधन अभिलेख विभाग (डीओएलआर) में सचिव अजय तिर्की ने अपने संबोधन में इस बात पर बल दिया कि मुख्य उद्देश्य लोगों को सुशासन प्रदान करना है और सभी संबंधित पक्षों को आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है और इसके लिए समग्र संवैधानिक की रूपरेखा के दायरे में प्रभावी भूमि प्रशासन के लिए हमारे सभी प्रयासों को आगे बढ़ाना एक चुनौती है। अजय तिर्की ने इस बात पर भी बल दिया कि जिन राज्यों ने भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण में संतृप्ति प्राप्त कर ली है, उन्होंने विकास की प्रक्रिया में आगे बढ़ कर लम्बी छलांग लगाई है। उन्होंने आगे इस बात पर भी बल दिया कि बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ सभी सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं सहित विकास कार्यक्रमों और योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण होना एक आवश्यक शर्त है।
भूमि संसाधन अभिलेख विभाग सचिव ने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी क्षेत्रों में सुशासन का प्रारंभिक बिंदु अच्छा भूमि प्रशासन है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि अब उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्य भी आगे बढ़ रहे हैं और भूमि रिकार्ड्स के डिजिटलीकरण की कई परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। उन्होंने परियोजना निर्माण में सक्रिय रूप से शामिल होने और सही प्रकार से इन गतिविधियों के निष्पादन को सुनिश्चित करने में डीओएलआर के समर्थन का आश्वासन दिया। अजय तिर्की ने कहा कि उत्तर-पूर्वी राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक समर्पित क्षमता निर्माण प्रकोष्ठ स्थापित किया जाएगा एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों में स्वायत्त पर्वतीय जिला परिषदों को भूमि संसाधन विभाग के अधिकारियों की एक ऐसी समर्पित टीम द्वारा समर्थन दिया जाएगा जिसका नेतृत्व एक निदेशक स्तर का अधिकारी करेगा । ऐसी सभी व्यक्तिगत टीमें संयुक्त सचिव, सोनमनी बोरा को सूचित करेंगी। अजय तिर्की ने यह भी बताया कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों और स्वायत्त पर्वतीय जिला परिषदों के भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण के विभिन्न परियोजना प्रस्तावों को हाल ही में असम, बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद, मिजोरम और त्रिपुरा के लिए स्वीकृति दी गई है। डीओएलआर सचिव ने सभी स्वायत्त पर्वतीय जिला परिषदों से अपने-अपने प्रस्ताव भेजने का अनुरोध किया।
विचारविमर्श का समापन करते हुए, भूमि संसाधन विभाग के सचिव, अजय तिर्की ने कमियों की पहचान करने और संवैधानिक ढांचे के दायरे में राज्यों और एडीसीएस के समर्थन से इन्हें कैसे दूर किया जाए, पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि स्वायत्त पर्वतीय परिषदों के पास इन मुद्दों का समाधान करने के लिए अलग-अलग अद्वितीय मुद्दे और व्यवस्थाए हैं। उन्होंने बताया कि डीओएलआर में निदेशक/उप सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में एक ऐसे समर्पित प्रकोष्ठ का गठन किया जाएगा जो आवश्यक गतिविधियों के संचालन और स्वायत्त पर्वतीय परिषदों के लिए विशिष्ट समाधानों पर काम करने के लिए संयुक्त सचिव को रिपोर्ट करेगा। अजय टिर्की ने कहा कि उत्तर-पूर्वी राज्यों और एडीसी के बीच डीआईएलआरएमपी के लाभों की प्राप्ति को देखकर प्रसन्नता हो रही है और सभी समयबद्ध तरीके से परिणाम प्राप्त करने के लिए इसके लिए मिलकर काम करेंगे।
भूमि संसाधन विभाग में अपर सचिव, आर. आनंद ने अपने संबोधन में भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण का लाभ सभी क्षेत्रों तक पहुंचना सुनिश्चित करने के लिए स्वीकार्य समाधान निकालने के लिए निरंतर बातचीत के महत्व पर बल दिया।
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव, हरप्रीत सिंह ने विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने और कार्य में सुगमता सुनिश्चित करने के लिए भूमि रिकार्ड्स के डिजिटलीकरण के माध्यम से भूमि प्रशासन के महत्व पर प्रकाश डाला।
इस बैठक में स्वायत्त जिला परिषदों में डिजिटल भारत भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए सम्बन्धित स्वायत्त जिला परिषदों की कार्य योजना पर प्रस्तुतियां दी गईं। कार्य योजनाओं पर विस्तार से हुए विचारविमर्श में वर्ष-वार कार्य योजना/भौतिक/वित्तीय लक्ष्य और सभी घटकों की प्रगति तथा मानव संसाधनों की उपलब्धता/तैनाती, क्षमता निर्माण और योजना को पूरा करने की समय-सीमा जैसी तैयारियां शामिल थीं। इस सम्मेलन ने ज्ञान और विचारों के आदान- प्रदान, नवाचारों को प्रदर्शित करने, सफल मामलों के अध्ययनों को साझा करने, समाधानों की पहचान करने, भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा करने एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों में भूमि प्रशासन पर विभिन्न जटिल एवं स्थानीय मुद्दों पर पारस्परिक सीखने के अवसर प्रदान करने की सुविधा प्रदान की।
इस बैठक में राज्यों के राजस्व/पंजीकरण विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों और असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम के पंजीकरण महानिरीक्षक,एडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी/कार्यकारी समिति के सचिव/कार्यकारी सचिव (एडीसीएस), लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) मसूरी में बी.एन. युगांधर ग्रामीण अध्ययन केंद्र के प्रतिनिधि, भारत के महासर्वेक्षक, उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय, ने भाग लिया।
पृष्ठभूमि
यह बैठक देश में भूमि प्रशासन और शासन के संवाद और विचार-विमर्श की भूमि संवाद श्रृंखला के अंतर्गत आयोजित की गई थी। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, मंत्रालयों और विभागों, अन्य हितधारकों के साथ यह 7वीं ऐसी बैठक थी। बैठक डीआईएलआरएमपी एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों एवं इन राज्यों में स्वायत्त जिला परिषदों की अन्य पहलों के साथ ही विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों के लिए डिजिटलीकरण समाधानों की समीक्षा पर केंद्रित थी।