नई दिल्ली,4नवंबर। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को नई दिल्ली में “साइलेंट कन्वर्सेशन: फ्रॉम मार्जिन्स टू द सेंटर” नामक एक कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी का आयोजन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा सांकला फाउंडेशन के सहयोग से प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाने के लिए किया जा रहा है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि आज दुनिया की 70 प्रतिशत बाघ आबादी भारत में पाई जाती है और इस उपलब्धि में टाइगर रिजर्व और राष्ट्रीय उद्यानों के आसपास रहने वाले समुदायों का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि यह प्रदर्शनी कलाकृतियों के माध्यम से टाइगर रिजर्व के आसपास रहने वाले लोगों और जंगलों और वन्यजीवों के बीच संबंधों को प्रदर्शित कर रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या को देखते हुए समग्र एवं सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए, बल्कि मानवता के अस्तित्व के लिए भी हमे जनजातीय समुदायों के जीवन-मूल्यों को अपनाना होगा। हमें उनसे सीखना होगा कि प्रकृति के साथ रहते हुए समृद्ध और सुखी जीवन कैसे संभव हो सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि अनियंत्रित भौतिकवाद, क्रूर व्यावसायिकता और लालची अवसरवाद ने हमें एक ऐसा विश्व बना दिया है जहां जीवन के सभी पांच तत्व व्यथित हैं। जलवायु परिवर्तन ने खाद्य और जल सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पारंपरिक और आधुनिक सोच को एकीकृत करने की आवश्यकता को पहचानकर हमारी संरक्षण, अनुकूलन और शमन रणनीतियों को और मजबूत करने की आवश्यकता है। हमें स्वदेशी ज्ञान को संरक्षित करने, बढ़ावा और उपयोग करने की आवश्यकता है। साथ ही, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वन के संरक्षक और उसके योग्य बेटे-बेटियां समाज में अपने अधिकारों, उचित स्थान और मान्यता से वंचित न रहें।