सरकार द्वारा 2014 के बाद से शुरू किये गये प्रशासनिक सुधारों का दूरगामी सकारात्मक सामाजिक प्रभाव पड़ा: डॉ. जितेंद्र सिंह
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर।केंद्र सरकार द्वारा के 2014 में सत्ता में आने के बाद से प्रशासन के स्तर पर किये गये सुधार कार्यों का दूरगामी सकारात्मक सामाजिक प्रभाव पड़ा है। केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु उर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नयी दिल्ली में यह कहा।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रशासनिक स्तर पर की गई पहलों, जैसे कि सेवानिवृत्ति पूर्व परामर्श कार्यशालाओं, अनुभव पुरस्कार और पेंशन अदालतों से हर साल बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को उनके पेंशन लाभ समय पर वितरण में मदद मिली है।
केन्द्रीय मंत्री ‘‘अनुभव’’ पुरस्कार – 2023 वितरण समारोह, अखिल भारतीय पेंशन अदालत और सेवानिवृत्ति पूर्व परामर्श (पीआरसी) कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘संपूर्ण सरकार’ का दृष्टिकोण इस तथ्य से स्पष्ट है कि कोविड महामारी के दौरान भी डाक विभाग द्वारा प्रदान की गई निर्बाध सेवाओं के कारण पेंशन भुगतान में देरी का कोई मामला सामने नहीं आया।
उन्होंने कहा कि भविष्य पोर्टल में भी समय के साथ सुधार आता चला गया और पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीएण्डपीडब्ल्यू) में ऐसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मचारी को सेवानिवृत्ति से पहले ही पेंशन भुगतान आदेश सुनिश्चित किया जा सके।
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्री ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारी द्वारा वार्षिक डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) सौंपने के लिये बैंक उन्हें घर पर ही सेवायें उपलब्ध करा रहे हैं। आधार कार्ड आधारित चेहरा पहचान प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने में भारत सरकार सबसे आगे रही है। इस तरह की नई तकनीक उपलब्ध होने से वरिष्ठ नागरिकों को जीवन प्रमाणपत्र सौंपने की जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता है। ज्यादातर कामकाज अब ऑनलाइन होने लगा है और कामकाज में पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक भागीदारी के लिये दफ्तरों के चक्कर काटने की जरूरत को न्यूनतम कर दिया गया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से 1,500 से अधिक बेकार हो चुके कानूनों को निरस्त कर दिया है और स्वः सत्यापन जैसे प्रावधान लागू किये हैं। सरकार का ध्येय ‘‘न्यूनतम सरकार-अधिकतम प्रशासन’’ के सिद्धांत पर काम करते हुये बेहतर प्रशासन देना है ताकि आम आदमी के जीवन को सुगम बनाया जा सके।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस अवसर पर देशव्यापी डीएलसी अभियान 2.0 के लिये राष्ट्रीय डीएलसी पोर्टल, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल की शुरूआत की और इसके साथ ही स्पष्टीकरण/प्रकरण अध्ययन संकलन का भी अनावरण किया। उन्होंने 13 पुरस्कार विजेताओं को उनके लेख के लिये अनुभव पुरस्कार 2023 भी भेंट किये।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री की पहल पर शुरू किया गया अनुभव पोर्टल काफी सफल रहा है। अभियान के परिणामस्वरूप 1,901 अनुभव लेख प्रकाशित हुये हैं जो कि मार्च 2015 में इसकी स्थापना के बाद से सबसे बड़ी संख्या है।
इसके बाद डॉ. जितेंद्र सिंह ने अखिल भारतीय पेंशन अदालत की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि पेंशन अदालतें लंबे समय से लटके पड़े पेंशन विवादों के त्वरित निपटान का प्रभावी माध्यम बन गईं हैं। पेंशन अदालत के समक्ष लाये गये 45 मामलों में से 30 मामलों को सुलझा लिया गया है।
अब तक डीओपीएण्डपीडब्ल्यू ने आठ पेंशन अदालतों का आयोजन किया है और इन पेंशन अदालतों के समक्ष आये 24,671 मामलों में से इस पहल में भागीदारी करने वाले विभिन्न मंत्रालयों/विभागों/संगठनों द्वारा 17,551 शिकायतों का समाधान (71 प्रतिशत) कर लिया गया है।
पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीएण्डपीडब्ल्यू) के सचिव वी. श्रीनिवास ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि विभाग नवंबर 2023 में राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 2.0 का आयोजन करने जा रहा है जिसमें 70 लाख केन्द्र सरकार पेंशनभोगी जीवन प्रमाणपत्र जमा करा सकेंगे। इन डीएलसी कैंपों को देशभर के 100 शहरों में 500 स्थानों पर 17 बैंकों के सहयोग से आयोजित किया जायेगा।
डीओपीएण्डपीडब्ल्यू में अतिरिक्त सचिव एस एन माथुर, पीएनबी के प्रबंध निदेशक और सीईओ अतुल कुमार, बैंक आफ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक और सीईओ देबदत्त चंद ने भी कार्यशाला को संबोधित किया।