पिछले नौ वर्षों में प्रधानमन्त्री मोदी द्वारा शुरू किए गए प्रशासनिक सुधारों के कारण मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों ही सुधार हुए हैं: डॉ. जितेंद्र सिंह

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नई दिल्ली, 20जून।मोदी सरकार ने 2014 से 2023 तक के अपने शासन के 9 वर्षों में क्रमशः यूपीए सरकार के शासन की 2004 से 2013 तक की इसी अवधि की 6 लाख सरकारी नौकरियों की तुलना में 9 लाख सरकारी नौकरियां प्रदान कीं हैं।

आज नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), परमाणु ऊर्जा विभाग तथा अंतरिक्ष विभाग एवं कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा यह बात रखी गई और उन्होंने तुलनात्मक तथ्यों एवं आंकड़ों के साथ अपनी सभी  टिप्पणियों की पुष्टि की।मंत्री महोदय ने कहा कि मोदी सरकार के नौ वर्षों के दौरान रोजगार सृजन में काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए छह रोजगार मेलों के दौरान, बड़े पैमाने पर भर्ती शुरू की गई है और प्रत्येक अभियान में 70,000 से अधिक नियुक्ति पत्र जारी किए गए हैं।

विवरण देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2004 से 2013 तक यूपीए शासन के नौ वर्षों में 6,02,045 की तुलना में पिछले नौ वर्षों में केंद्र सरकार की 8,82,191 रिक्तियां भरी गई हैं । इनमे तीन प्रमुख सरकारी एजेंसियों –  संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा 2004-13 के दौरान 45,431 की तुलना में 2014-23 के दौरान 50,906 उम्मीदवारों की भर्ती की गई, जबकि कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) ने यूपीए द्वारा की गई 2,07,563 भर्तियों के मुकाबले 4,00,691 उम्मीदवारों का चयन किया और क्षेत्रीय भर्ती बोर्ड (आरआरबी) ने 2004 से 2013 की  अवधि की 3,47,251 भर्तियों की तुलना में 2014 – 2023 के दौरान 4,30,592 युवाओं को सरकारी नौकरी दी है ।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001PHWI.jpg

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमन्त्री मोदी ने युवाओं को केवल सरकारी नौकरियों पर निर्भर  नहीं रहने के आतिरिक्त बल्कि रोजगार पैदा करने के लिए भी जागृत किया है। कभी मात्र  350 स्टार्ट-आपस थे जो अब बढ़कर 1 लाख हो गए हैं; जैसे कि जब अरोमा मिशन शुरू किया गया, तब तक दक्षिण पूर्व एशिया से अगरबत्ती का आयात किया जा रहा था, लेकिन उसके बाद स्वदेशी बांस की खेती को संशोधन द्वारा भारतीय वन अधिनियम 1927 के दायरे से बाहर कर दिया गया, और फिर बांस उद्योग को वैश्विक पहचान हेतु अवसर प्रदान करने के लिए आयात शुल्क बढ़ाकर 25% कर दिया गया ; ऐसे ही खादी आज एक लाख करोड़ रुपये के कारोबार के साथ एक डिजाइनर आइटम बन गई है।उन्होंने आगे कहा कि “अन्यथा आप वैश्विक चुनौतियों, वैश्विक बेंचमार्क और वैश्विक मापदंडों से बाहर रहेंगे; इसलिए भी एक तरह से प्रधानमंत्री हमें विजन 2047 के लिए तैयार कर रहे हैं ताकि हम शेष विश्व का नेतृत्व कर सकें।“डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमन्त्री मोदी का दृढ़ विश्वास है कि भारत की 140 करोड़ जनसंख्या को लाभांश के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि “नए विकल्प सामने आए हैं, लगभग 50 से, आज 6,000 जैव-प्रौद्योगिकी (बायोटेक) स्टार्ट-अप्स हैं, हिमालयी क्षेत्र के लिए अरोमा मिशन शुरू किया गया है, वहीं दूसरी ओर लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित गहन सागर अभियान (डीप सी मिशन) का परिणाम अर्थव्यवस्था में मूल्यवर्धन का होना एवं, रोजगार के सृजन के साथ ही हमें एक वैश्विक भूमिका मिलेगी।”डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बड़े पैमाने पर भर्ती के अलावा, पिछले वर्ष 9,000 कर्मचारियों की एक साथ पदोन्नति भी की गई थी, और इस वर्ष 4,000 पदोन्नति करने की योजना है।

उन्होंने कहा कि “विभागीय देरी और अधीनस्थ मामलों सहित विभिन्न कारकों के कारण पिछली सरकार के तहत पदोन्नति रुकी हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों भी हतोत्साहित थे। आवश्यक सुधार लाने के साथ ही इन बाधाओं का निराकरण किया गया, इससे न केवल शासन में सुधार परिलक्षित हुआ है बल्कि इसका सामाजिक आर्थिक प्रभाव भी हुआ है।”डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में प्रधानमन्त्री मोदी द्वारा शुरू किए गए प्रशासनिक सुधारों के कारण मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों ही प्रकार से स्थिति में बदलाव आया है।

“पद संभालने के एक साल के भीतर ही प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त, 2015 को लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस सम्बोधन में सरकार में निचले पदों पर भर्ती के लिए साक्षात्कार को समाप्त करने के लिए कहा था। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने अगले तीन महीनों में सुधार किया, जिसके परिणामस्वरूप 1 फरवरी, 2016 से समूह ग (ग्रुप सी) के  पदों के लिए साक्षात्कार समाप्त कर दिया गया, यद्यपि  कुछ राज्यों ने अधिक समय लिया। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आगे कहा कि इस ऐतिहासिक सुधार ने सभी को बराबरी का अवसर प्रदान किया जिसमे योग्यता को उचित रूप से स्वीकारा गया  और  इससे पारदर्शिता बढने के साथ ही रिश्वतखोरी और भेदभाव एवं  पक्षपात पर रोक लगी ”  ।

उन्होंने कहा कि “इसी तरह  में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 26 मई, 2014 को शपथ लेने के कुछ महीने बाद सितंबर 2014 में स्व-सत्यापन का उन्मूलन करके औपनिवेशिक  की विरासत को खत्म करके सरकार द्वारा युवाओं में विश्वास को दोहराया गया था , साथ ही  सेवा-काल के दौरान और नई भर्ती दोनों के लिए क्षमता निर्माण के अंतर्गत  मिशन कर्मयोगी प्रारम्भ  किया गया था ।

मंत्री महोदय ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता (जीरो टॉलरेंस) की पक्षधरता की है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसीए 1988 में 30 वर्ष बाद संशोधन किया गया ताकि रिश्वत देने वाले को भी इसके दायरे में लाया जा सके।  उन्होंने कहा कि ईमानदार अधिकारी भयभीत नहीं होते हैं और अपनी क्षमताओं के अनुसार कर्तव्यों का पालन कर सकते हैं।”डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक और बड़ा सुधार सरकार में शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना  है।

उन्होंने कहा कि “अन्य देश केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) से परिचित होने के लिए आ रहे हैं, पहले प्रतिवर्ष केवल 2 लाख शिकायतें प्राप्त होती थीं, इस प्रणाली (सिस्टम) को कम्प्यूटरीकृत करने के बाद अब प्रक्रिया को  ऑनलाइन कर दिया गया है, 5 दिनों की सीमा निर्धारित की गई है, अब लगभग 20 लाख शिकायतें प्रतिवर्ष प्राप्त होती हैं, जिससे यह प्रणाली  और अधिक उत्तरदायी, त्वरित और समयबद्ध हो जाती  है।  वहीं  शिकायत निवारण के बाद परामर्श के लिए एक हेल्प डेस्क भी प्रदान किया गया है” ।मंत्री महोदय  ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को ध्यान में रखते हुए सबसे बड़े पेंशन सुधार किए गए हैं। औसत जीवनकाल बढ़ गया है, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को इसमें लाभप्रद रूप से संलग्न करने के लिए नीतियों में संशोधन किया गया है।

उन्होंने आगे कहा कि “तलाक की कार्यवाही लंबे समय से अदालत में लंबित होने पर भी तलाकशुदा बेटी को पेंशन प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए नियम को समाप्त कर दिया गया;  दस वर्ष से कम सेवा वाले कर्मचारियों की दुर्भाग्य से मृत्यु हो जाने पर  भी  ऐसे मामले में अमानवीय प्रावधान को समाप्त कर दिया गया और उनके परिवार पेंशन को पेंशन के योग्य  बनाया गया ;  इसी प्रकार वामपंथी उग्रवाद या आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में गुमशुदा कर्मचारियों के मामले में – उनके शव को वापस लाने के लिए 7 साल की प्रतीक्षा अवधि के ऐसे मामले में अमानवीय प्रावधानों   को समाप्त कर दिया गया और उन्हें  परिवार पेंशन दी गई है ” ।

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