उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में मामले की निष्पक्ष जांच हो- के.के. मिश्रा

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भोपाल, 9फरवरी। मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने स्वास्थ्य विभाग से संदर्भित आयुष्मान योजना में हुये घोटाले के बाद स्टाफ नर्सिंग भर्ती परीक्षा (एनएचएम) पेपर लीक मामले की तुलना व्यापमं महाघोटाले के समकक्ष बताते हुए 48 घंटे बीत जाने के बाद भी इस मामले के मास्टर माइंड का सुराग नहीं मिलने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि इससे प्रतीत हो रहा है कि सरकार, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय की इस विषयक भूमिका संदिग्ध है और ‘‘सुलेमानी ताकत’’ के सामने इन तीनों ने आत्मसमर्पण कर रखा है।

मिश्रा ने मप्र सहित विभिन्न भाजपा सरकारों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि देश के राजनैतिक इतिहास में शायद भाजपा शासित राज्यों में जितनी बार परीक्षा पत्र लीक हुये हैं, वह देश के इतिहास में कभी नहीं हुये होंगे! उन्हांने कहा कि भाजपा शासित गुजरात में लगभग 22, उत्तर प्रदेश में लगभग 10 मर्तबा परीक्षा पत्र लीक हुए हैं, जो इस बात को साफ तौर पर प्रदर्शित कर रहा है कि एक बड़ा संगठित गिरोह देशभर में इसतरह के घृणित कार्य कर रहा है, जिसकी मजबूत जड़ें देश-प्रदेश के बेरोजगारों के साथ निरंतर प्रामाणिक धोखे को अंजाम दे रही हैं?

मिश्रा ने चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय से यह भी जानना चाहा कि प्रदेश के जिन बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के नाम पर यदि सेम्स जैसी प्रायवेट कंपनियों को ठेका ही देना है तो व्यापमं, कर्मचारी चयन बोर्ड जैसी संस्थाओं की जरूरत ही क्यों हैं और यदि निजी कंपनियों से ही इस तरह के महत्वपूर्ण कार्य करवाना ही है तो इससे जुड़े मंत्रालयों को भंग कर देना चाहिए?यही नहीं यदि राज्य सरकार ने सारे कार्य आउटसोर्स और निजी कंपनियों से ही करवाने का अघोषित निर्णय ले लिया है तो समूची सरकार को भी निजी और आउटसोर्स कंपनियों को ठेके पर दे दिया जाये? सरकार को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि एनएचएम जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं का ठेका सेम्स जैसी निजी कंपनी को देने में किस राजनेता और किस प्रभावी अधिकारी की भूमिका है, इनके बीच दलाली का जिम्मा भी किसका था, वह नाम भी सार्वजनिक होने चाहिए।

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