नई दिल्ली, 22नवंबर। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को मोरबी पुल ढहने की घटना को लेकर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट से मोरबी पुल ढहने की घटना से संबंधित जांच और अन्य पहलुओं की समय-समय पर निगरानी करने को कहा है. यहां चर्चा कर दें कि इस घटना में 140 से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी जिससे पूरे देश के लोग आहत थे. सुप्रीम कोर्ट ने मोरबी पुल हादसे को ‘भारी त्रासदी’ करार दिया है.
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पहले ही घटना का स्वत: संज्ञान लिया है और कई आदेश पारित किये हैं, ऐसे में फिलहाल वह याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि एक जनहित याचिकाकर्ता और हादसे में अपने दो परिजनों को खोने वाले एक अन्य वादी को स्वतंत्र सीबीआई जांच, पर्याप्त मुआवजा संबंधी याचिकाओं के साथ हाई कोर्ट का रुख करने की अनुमति प्रदान की है. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता बाद में उसका रुख कर सकते हैं.
बता दें कि मोरबी पुल की एफएसएल रिपोर्ट में ओरेवा और नगर निगम द्वारा भ्रष्टाचार और आपराधिक लापरवाही का खुलासा हुआ है. ओरेवा समूह, जिसके पास पुल के रखरखाव, संचालन और सुरक्षा का ठेका था. 30 अक्टूबर को पुल ढहने वाले दिन 3,165 टिकट जारी किए थे. इसकी भार वहन क्षमता का आकलन कभी नहीं की गई.
रिपोर्ट के अनुसार ओरेवा द्वारा रखे गए गार्ड और टिकट कलेक्टर दिहाड़ी मजदूर थे. सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में गार्ड को कभी नहीं बताया गया और पुल पर कितने लोगों को अनुमति दी जानी चाहिए. केबलों में जंग लग गई थी. एंगल टूट गए थे और केबल को एंकरों से जोड़ने वाले बोल्ट ढीले हो गए थे.
30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर स्थित ब्रिटिश शासन युग के पुल के टूटने की घटना में 135 लोगों से अधिक की जान चली गई थी. पुलिस ने मोरबी पुल का प्रबंधन करने वाले ओरेवा समूह के चार लोगों सहित 9 लोगों को 31 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. पुल के रखरखाव तथ्ज्ञा संचालन का काम करने वाली कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.