नई दिल्ली ,7 नवम्बर। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज मिस्र के शर्म अल-शेख में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन की 27वीं बैठक (कॉप 27) में भारतीय मंडप का उद्घाटन किया। विभिन्न देशों का यह सम्मेलन (कॉप 27) 6 नवंबर से 18 नवंबर, 2022 तक चलेगा।
भारतीय मंडप में सभी देशों के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए श्री यादव ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन की जटिल समस्या का सरल समाधान प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि जलवायु कार्रवाई जमीनी स्तर पर, व्यक्तिगत स्तर से शुरू होती है और इसलिए लाइफ़- पर्यावरण के लिए जीवनशैली विषय के साथ भारतीय मंडप को डिजाइन किया गया है। इस अवसर पर श्री यादव ने सकारात्मक जलवायु परिवर्तन समाधान की दिशा में काम करने वाले भारत के कॉप युवा विद्यार्थियों को भी सम्मानित किया।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री यादव ने कहा, “मुझे विश्वास है कि, कॉप की अवधि के दौरान, भारतीय मंडप प्रतिनिधियों को याद दिलाता रहेगा कि सरल जीवनशैली और व्यक्तिगत प्रथाएं जो प्रकृति के लिए टिकाऊ हैं, धरती माता की रक्षा करने में मदद कर सकती हैं।”
श्री यादव ने कहा, “भारत को जलवायु अर्थव्यवस्था से संबंधित चर्चाओं में पर्याप्त प्रगति की आशा है। हम नई प्रौद्योगिकियों की शुरुआत और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा के लिए नए सहयोग की भी आशा करते हैं।”
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “मिशन लाइफ इस धरती की सुरक्षा के लिए लोगों की शक्तियों को जोड़ता है और उन्हें इसका बेहतर रूप से उपयोग करना सिखाता है। मिशन लाइफ़ जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई को लोकतांत्रिक बनाता है जिसमें हर कोई अपनी क्षमता के अनुसार योगदान दे सकता है। मिशन लाइफ का मानना है कि छोटे-छोटे प्रयासों का भी बहुत बड़ा प्रभाव हो सकता है।”
भारत कॉप 27 में लाइफ-पर्यावरण के लिए जीवनशैली के विषय के साथ एक मंडप की मेजबानी कर रहा है। मंडप को विभिन्न दृश्य-श्रव्य, प्रतीक चिन्हों, 3 डी मॉडल, सेट अप, डेकोर और साइड इवेंट के माध्यम से लाइफ मिशन के संदेश को प्रस्तुत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
मंडप के डिजाइन में मार्गदर्शक विचार यह है कि सदियों से, भारतीय सभ्यताओं ने स्थायी जीवन शैली का अभ्यास और नेतृत्व किया है। भारतीय संस्कृति में पर्यावरण के अनुकूल आदतें शामिल हैं। प्राकृतिक पर्यावरण के प्रति सम्मान दिखाने वाली कई प्रथाएं दैनिक जीवन में समाहित हैं। ये प्रथाएं जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध हमारी लड़ाई में महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।
एक हज़ार वर्षों में पीढ़ियों से चली आ रही स्थिरता से संबंधित इस गहन ज्ञान ने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को दुनिया को ‘लाइफ’ का एक मंत्र देने के लिए प्रेरित किया है- जिसका उद्देश्य धरती के स्वास्थ्य और कल्याण पर उल्लेखनीय रूप से सकारात्मक प्रभाव डालना है। वैश्विक जलवायु संकट से निपटने में भारत का योगदान लाइफ मिशन है। लाइफ मिशन व्यक्तियों को ‘धरती के हित में काम करने वाले लोगों’ के रूप में बदलने का प्रयास करता है, जो आधुनिक दुनिया में स्थायी जीवनशैली अपनाएंगे।
मंडप के प्रतीक चिन्ह में हरे रंग का उपयोग किया गया है, यह हरा रंग हरी-भरी धरती का सूचक है। प्रतीक चिन्ह में हरे रंग को ग्रेडिएंट शेड्स के रूप में प्रयोग किया गया है। परिधि पर मौजूद पत्ती, प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती है और यह प्रतीक यह प्रदर्शित करता है कि भारत सरकार की विभिन्न पहलों के माध्यम से प्रकृति के साथ संतुलन और तालमेल कैसे बिठाया जा सकता है। प्रतीक चिन्ह का मध्य भाग सूर्य के साथ संतुलित प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें पेड़, पहाड़, पानी और जैव-विविधता शामिल है। यह नारा जीवन के मूल संदेश “सर्वे भवन्तु सुखिन” यानी सभी के सुख की कामना से प्रेरित है।
श्री भूपेंद्र यादव ने कॉप 27 के औपचारिक उद्घाटन सत्र में भी भाग लिया जहां मिस्र ने ब्रिटेन से कॉप की अध्यक्षता का कार्यभार प्राप्त किया।
लाइफ मिशन के बारे में
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2021 में ग्लासगो में कॉप 26 में दुनिया को लाइफ का मंत्र दिया था और तब से इस मिशन को वैश्विक नेताओं द्वारा व्यापक रूप से समर्थन प्राप्त हो रहा है। भारत ने वैश्विक जन आंदोलन के रूप में मिशन लाइफ का नेतृत्व किया है जो जलवायु संकट को दूर करने के लिए दुनिया भर में व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई की शक्ति का उपयोग करता है। इसका उद्देश्य मानव और प्रकृति के बीच महत्वपूर्ण संतुलन को पुनर्जीवित करना है, जो पर्यावरण की रक्षा व संरक्षण के लिए अंधाधुंध और गलत उपभोग से हटकर सोच-समझकर उपभोग करने के लिए बदलाव को बढ़ावा देता है।
मिशन लाइफ़ को वर्ष 2022 से 2027 की अवधि में कम से कम एक अरब भारतीयों और अन्य वैश्विक नागरिकों को पर्यावरण की रक्षा व संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। वर्ष 2028 तक पूरे भारत के कम से कम 80 प्रतिशत गांवों और शहरी स्थानीय निकायों को पर्यावरण के अनुकूल तैयार करने का लक्ष्य है।