राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) का उद्देश्य डिग्री को शिक्षा और आजीविका अवसरों से अलग करना है : केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

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नई दिल्ली, 27अक्टूबर। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) का उद्देश्य डिग्री को शिक्षा और आजीविका के अवसरों से अलग करना है।

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के ठाकुरद्वार में कृष्ण महाविद्यालय में छात्रों और युवाओं को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि एनईपी-2020 भारत में छात्रों और युवाओं को नए कैरियर एवं उद्यमिता का अवसर प्रदान करने के साथ स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र का एक पूरक भी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रारंभ की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 वैश्विक मानकों के अनुरूप भारत की शिक्षा नीति को पुन:स्थापित करेगी। नई शिक्षा नीति को आजादी के बाद देश में हुआ सबसे बड़ा ऐतिहासिक सुधार बताते हुए, उन्‍होंने कहा कि यह नीति न केवल प्रगतिशील और दूरदर्शी है, बल्कि 21वीं सदी के भारत की उभरती आवश्यकताओं और जरूरतों का भी पूरा ध्यान रखती है। उन्होंने कहा कि यह केवल डिग्री पर ही ध्यान केंद्रित नहीं करती बल्कि छात्रों की अंतर्निहित प्रतिभा, ज्ञान, कौशल और योग्यता को उचित प्राथमिकता देती है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डिग्रियों को शिक्षा के साथ जोड़ने के कारण हमारी शिक्षा प्रणाली और समाज पर बहुत गहरा असर पड़ा है और इसका एक परिणाम शिक्षित बेरोजगारों की बढ़ती हुई जनसंख्या है। उन्‍होंने कहा कि एनईपी-2020 में विविध प्रवेश/निकासी के विकल्प मौजूद हैं, जिससे छात्रों को अकादमिक लचीलापन प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि इससे छात्रों को विभिन्न समय में विभिन्न करियर का लाभ उठाने का सही अवसर प्राप्त होगा, जो कि उनकी व्यक्तिगत शिक्षा और अंतर्निहित योग्यता पर निर्भर करेगा।

स्किल इंडिया मिशन का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने छात्रों से जीवन में सफल होने के लिए कई कौशल को आत्मसात करने का आग्रह किया क्योंकि आज इस बात के पर्याप्त उदाहरण हमारे सामने मौजूद हैं कि नवीनतम कौशल प्राप्त किए हुए लोग आज दुनिया में अपना चमत्कार दिखा रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने छात्रों और युवाओं से देश में तेजी से बढ़ते स्टार्ट-अप क्षेत्र में आजीविका के अवसरों की तलाश करने का भी आग्रह किया। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि इस वर्ष अगस्त माह में उत्तर प्रदेश सरकार ने रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों के लिए राज्य स्टार्ट-अप कोष को 4,000 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं। अभी पूंजी का ताजा निवेश ‘यूपी इनोवेशन फंड’ का गठन करने के लिए किया गया है जिसे बाद में स्टार्ट-अप को सीड कैपिटल प्रदान करने के लिए अनिवार्य किया जाएगा। डॉ. सिंह ने भविष्य के दृष्टिकोण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पूरा श्रेय दिया, जिन्होंने 2015 में ही स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया का आह्वान किया था, जिससे लोगों की अभिरुचि बढ़ी, जिसके परिणामस्वरूप भारत में स्टार्ट-अप्स की संख्या जो 2014 में केवल 350 थी वह 2022 में बढ़कर 105 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ 80,000 पार हो चुकी है।

डॉ. सिंह ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश सरकार की योजना 2023 तक प्रत्येक जिले में कम से कम एक इनक्यूबेटर स्थापित करने की है। अभी तक 20 जिलों में 47 इनक्यूबेटर स्थापित हो चुके हैं। उन्होंने मुरादाबाद के युवाओं से कहा कि उनका राज्य स्टार्ट-अप की दौड़ में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है और वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 6,500 से अधिक स्टार्टअप पहले से ही पंजीकृत हैं। सरकार ने ड्रोन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी कानपुर में एक उत्कृष्टता केंद्र सहित राज्य में दो उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का भी निर्णय लिया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नोएडा स्टार्टअप्स के लिए सबसे पसंदीदा गंतव्य बन चुका है, इसके बाद पूर्वांचल क्षेत्र में गाजियाबाद, आगरा, लखनऊ और गोरखपुर का नंबर आता है और अब समय आ गया है जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अभिनव दिमाग वाले लोग इस स्टार्टअप अभियान का नेतृत्व करें। उन्होंने कहा कि पश्चिमी क्षेत्र का हरित और कृषि समृद्ध क्षेत्र कृषि प्रौद्योगिकी और डेयरी स्टार्ट-अप के लिए फलदायक साबित हो सकता है। उन्‍होंने स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।

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